×

कामिका एकादशी: महत्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

कामिका एकादशी का पर्व आज मनाया जा रहा है, जो सावन के दूसरे सोमवार के साथ मेल खाता है। इस दिन का आध्यात्मिक महत्व बढ़ जाता है। जानें इस दिन की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और पौराणिक कथा। इस व्रत को रखने से व्यक्ति के दुख दूर होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही, जानें इस दिन भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने के उपाय।
 

कामिका एकादशी का महत्व

आज कामिका एकादशी का पर्व मनाया जा रहा है, जो सावन के दूसरे सोमवार के साथ मेल खाता है। इस समय हर ओर हरियाली और भक्ति का वातावरण होता है, जिससे इस दिन की आध्यात्मिक महत्ता और भी बढ़ जाती है। आइए, जानते हैं कामिका एकादशी का महत्व और इसे मनाने की विधि।


कामिका एकादशी के बारे में जानकारी

हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत विशेष महत्व रखता है। इसे करने से व्यक्ति के जीवन के दुख दूर होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। सावन में आने वाली एकादशी, जिसे कामिका एकादशी कहा जाता है, का विशेष महत्व है। यह व्रत सावन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भक्त लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करते हैं। शास्त्रों में इस व्रत की महिमा का विस्तार से वर्णन किया गया है। साधक इस दिन अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए कामिका एकादशी का व्रत रखते हैं।


कामिका एकादशी का शुभ मुहूर्त

कामिका एकादशी तिथि का आरंभ 20 तारीख को दोपहर 12:14 बजे से होगा। हालांकि, शास्त्रों के अनुसार उदय तिथि में व्रत करना उचित होता है। इसलिए, 21 तारीख को सोमवार को कामिका एकादशी का व्रत रखा जाएगा। द्वादशी तिथि 22 तारीख को सुबह 7:06 बजे तक रहेगी, इसलिए सुबह 7 बजे तक व्रत का पारण करना सबसे अच्छा रहेगा। इस दिन भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।


कामिका एकादशी का पारण समय

कामिका एकादशी का पारण 22 जुलाई को सुबह 05:37 से 07:05 बजे के बीच किया जाएगा। इस दौरान भक्त भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करें और फिर अन्न तथा धन का दान कर व्रत खोलें।


कामिका एकादशी पर पूजा विधि

पंडितों के अनुसार, व्रत रखने से एक दिन पहले चावल का त्याग करना चाहिए। व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र पहनें। कामिका एकादशी के दिन पवित्र नदी में स्नान करना सर्वोत्तम होता है। यदि यह संभव न हो, तो स्नान के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। पूजा घर में पीले रंग का आसन बिछाकर भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करें और विधिपूर्वक पूजा करें।


कामिका एकादशी की पौराणिक कथा

एक समय की बात है, एक क्षत्रिय ने एक ब्राह्मण को धक्का दे दिया, जिससे उसकी मृत्यु हो गई। क्षत्रिय ने अपने किए पर पछताया और ब्राह्मण के अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी ली। पंडितों ने उसे सलाह दी कि यदि वह कामिका एकादशी का व्रत रखेगा, तो वह अपने पाप से मुक्त हो जाएगा। उसने सच्चे मन से व्रत रखा और भगवान विष्णु के दर्शन किए। इस प्रकार, कामिका एकादशी का व्रत विशेष पुण्यदायी माना जाने लगा।


कामिका एकादशी व्रत के नियम

कामिका एकादशी व्रत के नियमों का पालन करना आवश्यक है। इसमें चावल का त्याग करना और सात्विक भोजन करना शामिल है। व्रत के दिन केवल फलाहार करना चाहिए। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से विशेष कृपा प्राप्त होती है।


कामिका एकादशी का महत्व

कामिका एकादशी पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा से धन, सुख, शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यदि श्रद्धा और विधि से पूजा की जाए, तो पाप नष्ट होते हैं और जीवन में स्थिरता आती है।


कामिका एकादशी पर मंत्र जाप

शांताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं,
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम्।
लक्ष्मीकांतं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्,
वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्॥