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झारखंड को जीएसटी से भारी राजस्व हानि का सामना

झारखंड सरकार को जीएसटी लागू होने के बाद से भारी राजस्व हानि का सामना करना पड़ रहा है। एक हालिया रिपोर्ट में बताया गया है कि राज्य को अब तक 16,408.78 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है, और अगले पांच वर्षों में यह आंकड़ा 61,677 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। रिपोर्ट में जीएसटी के खपत आधारित ढांचे और राज्य की प्रति व्यक्ति आय के प्रभाव को उजागर किया गया है। जानें इस गंभीर स्थिति के पीछे के कारण और राज्य सरकार के लिए यह समस्या कितनी चुनौतीपूर्ण है।
 

झारखंड जीएसटी से होने वाले नुकसान का विवरण

झारखंड जीएसटी में बड़ा नुकसान: केंद्रीय माल एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने के बाद झारखंड सरकार को गंभीर राजस्व हानि का सामना करना पड़ रहा है। अब तक राज्य को 16,408.78 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है, और भविष्य में यह आंकड़ा और बढ़ने की संभावना है। वाणिज्य कर विभाग ने एक रिपोर्ट प्रस्तुत की है, जिसमें कहा गया है कि अगले पांच वर्षों में (मार्च 2030 तक) झारखंड को लगभग 61,677 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है।


रिपोर्ट के अनुसार, 2025-26 में राज्य को 8,136.05 करोड़ रुपये का नुकसान होने की संभावना है, जो धीरे-धीरे बढ़कर 2029-30 तक 17,257.60 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। यदि पिछले वर्षों पर नजर डालें, तो जीएसटी लागू होने से पहले (1 जुलाई 2017 से मार्च 2018) तक राज्य के राजस्व में 297.16 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई थी, लेकिन इसके बाद से हर साल नुकसान का आंकड़ा बढ़ता गया है।


जीएसटी से होने वाले नुकसान के मुख्य कारण


जीएसटी खपत पर आधारित है: जीएसटी के तहत अब राज्य को उन माल पर टैक्स नहीं मिलता जो राज्य से बाहर भेजे जाते हैं। पहले, जब माल राज्य से बाहर जाता था, तो उस पर दो प्रतिशत केंद्रीय बिक्री कर (सीएसटी) लगता था, जो राज्य के खाते में जाता था। अब, जब माल बाहर भेजा जाता है, तो जीएसटी से कोई लाभ नहीं मिलता।


प्रति व्यक्ति आय पर निर्भरता: झारखंड की प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय स्तर पर 26वें स्थान पर है, जिससे राज्य में माल की खपत कम होती है। इसके परिणामस्वरूप जीएसटी से होने वाला नुकसान भी बढ़ता है। जबकि बिहार जैसे राज्यों में, जहां प्रति व्यक्ति आय कम है, फिर भी जीएसटी से होने वाला नुकसान झारखंड की तुलना में कम है, क्योंकि वहां कोई बड़ी फैक्ट्री नहीं है।


इन कारणों के चलते झारखंड को जीएसटी लागू होने के बाद लगातार नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। राज्य सरकार के लिए इस समस्या का समाधान करना एक बड़ी चुनौती बन गई है।