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73 वर्षीय संगीतकार का अनोखा मिशन: आवारा कुत्तों के लिए संगीत और दान

कोलकाता के 73 वर्षीय सुब्रत दास एक अनोखे मिशन पर हैं। वह अपने संगीत के माध्यम से आवारा कुत्तों की देखभाल करते हैं। हर दिन वह सड़क पर बैठकर संगीत बजाते हैं और जो पैसे मिलते हैं, उनका उपयोग कुत्तों के खाने में करते हैं। जानें उनकी प्रेरणादायक कहानी और कैसे उन्होंने दयालुता की शक्ति को साबित किया है।
 

एक अनोखी कहानी


दुनिया के अधिकांश लोग अपने और अपने परिवार के लिए काम करते हैं, लेकिन आज हम आपको एक ऐसे व्यक्ति से मिलवाने जा रहे हैं जो अपने लिए नहीं, बल्कि आवारा कुत्तों के लिए काम करता है। यह 73 वर्षीय व्यक्ति सड़क पर बैठकर और गलियों में घूमकर संगीत का प्रदर्शन करता है, और जो पैसे उसे मिलते हैं, उनका उपयोग वह इन कुत्तों के खाने और देखभाल में करता है।


संगीत का जादू

अराधना चटर्जी ने इस व्यक्ति पर ध्यान तब दिया जब वह कोलकाता की एक व्यस्त सड़क पर कीबोर्ड और माउथ ऑर्गन बजा रहे थे। उन्होंने बताया कि यह व्यक्ति पिछले 35 वर्षों से आवारा कुत्तों के लिए संगीत बजाकर पैसे कमाता है।


कुत्तों की देखभाल में योगदान

चटर्जी ने साझा किया कि वह हर दिन 500 रुपए आवारा कुत्तों के भोजन पर खर्च करता है। सुब्रत दास, जो 73 वर्ष के हैं, पिछले 30 वर्षों से ऑटो रिक्शा चलाकर अपनी जीविका कमाते थे।


दास को उनके परिवार से कोई सहायता नहीं मिलती, और उन्होंने अपने परिवार को छोड़ दिया है। उन्होंने बचपन में संगीत सीखा था, जो अब उनकी आय का स्रोत बन गया है।


दयालुता की शक्ति

चटर्जी ने कहा कि दास ने उन्हें यह याद दिलाया कि दयालुता कितनी प्रभावशाली हो सकती है। उन्होंने भी उनकी थोड़ी मदद की, और सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों से अपील की कि वे भी इस व्यक्ति की मदद कर सकते हैं।


जब आप सुब्रत दा जैसे व्यक्ति से मिलें, तो याद रखें कि एक छोटा सा योगदान भी बड़े बदलाव ला सकता है।


संगीत का समय

ठान लो तो कुछ भी असंभव नहीं


चटर्जी ने आगे लिखा कि जब आप ठान लेते हैं, तो कुछ भी असंभव नहीं रह जाता। सुब्रत दास ने यह साबित किया है। वह हर दिन लेक मॉल, लेक मार्केट राशबिहार, कोलकाता के सामने रात 8 बजे से 10.30 बजे तक संगीत बजाते हैं।