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अफगानिस्तान में बच्चों का मानवीय संकट: अकेलेपन और डर में जी रहे मासूम

अफगानिस्तान में हजारों बच्चे ईरान और पाकिस्तान से वापस लौट रहे हैं, जिनमें से कई अपने परिवारों से बिछड़ चुके हैं। ये मासूम अकेलेपन और डर में जी रहे हैं। सरकार और विभिन्न संस्थाएँ इन बच्चों की मदद के लिए प्रयासरत हैं, लेकिन स्थिति गंभीर है। सर्दियों के करीब आते ही, राहतकर्मी चेतावनी दे रहे हैं कि यदि तत्काल सहायता नहीं मिली, तो लाखों लोग और संकट में फंस जाएंगे। जानें इस मानवीय संकट की पूरी कहानी।
 

अफगानिस्तान में बच्चों की करुण कहानियाँ

अफगानिस्तान की धरती इस समय हजारों बच्चों की दुखद कहानियों की गवाह बन रही है। ये बच्चे ईरान और पाकिस्तान से मजबूरन वापस भेजे गए हैं। बिना परिवार और सहारे के, इन मासूमों का जीवन अकेलेपन और भय में बीत रहा है। कई बच्चों को तो रास्ते में अनजान व्यक्तियों के हवाले कर दिया गया, ताकि वे उन्हें सीमा पार छोड़ सकें।


बच्चों की संख्या और उनकी स्थिति

अफगान शरणार्थी मामलों के उच्चायुक्त के अनुसार, अब तक 29,000 से अधिक अफगान बच्चे ईरान और पाकिस्तान से निर्वासित होकर लौट चुके हैं। इनमें से कई बच्चे अपने परिवारों से बिछड़ चुके हैं। तोलो न्यूज से बातचीत में एक बच्चे ने बताया कि उसे ईरान से वापस भेजते समय अनजान लोगों के साथ भेजा गया और कहा गया कि सीमा पर उसे अपना बेटा बताकर छोड़ दिया जाए। वहीं, पाकिस्तान से लौटे एक अन्य बच्चे ने कहा, 'मुझे अपने माता-पिता की बहुत याद आती है, काश मैं फिर से उनके साथ रह पाऊं।'


सरकार और संस्थाओं की कोशिशें

अफगानिस्तान के शरणार्थी आयोग के प्रवक्ता अहमदुल्लाह वासिक ने बताया कि कुछ बच्चों को उनके परिवारों से मिलाया गया है, जबकि अन्य बच्चों को अनाथालयों और देखभाल केंद्रों में रखा गया है। श्रम एवं सामाजिक मामलों के मंत्रालय ने विदेश मंत्रालय के सहयोग से इन बच्चों के परिजनों को खोजने का प्रयास शुरू किया है। हालांकि, यह प्रक्रिया धीमी है और बच्चे अब भी असुरक्षा और अकेलेपन का सामना कर रहे हैं।


मानवीय संकट की चेतावनी

सेव द चिल्ड्रेन की रिपोर्ट के अनुसार, केवल जून महीने में 80,000 अफगान बच्चों को ईरान से वापस भेजा गया, जिनमें से लगभग 6,700 बच्चे अकेले थे। संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि अफगानिस्तान में पहले से ही तीन मिलियन से अधिक लोग विस्थापित हैं। इस तरह बड़ी संख्या में बच्चों का लौटना मानवीय संकट को और बढ़ा सकता है। अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने दानदाता देशों से तात्कालिक सहायता की अपील की है।


सर्दियों से पहले मदद जरूरी

जैसे-जैसे सर्दियाँ नजदीक आ रही हैं, राहतकर्मी चेतावनी दे रहे हैं कि यदि तुरंत संसाधन उपलब्ध नहीं हुए, तो लाखों अफगान गरीबी और भूख के और गहरे संकट में फंस जाएंगे। इनमें सबसे अधिक प्रभावित बच्चे और महिलाएं होंगी। ये मासूम, जो अपने माता-पिता से अलग होकर अकेलेपन में जी रहे हैं, उन्हें न केवल परिवार की आवश्यकता है बल्कि मानवीय सहायता की भी।