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अमेरिका में ऐतिहासिक शटडाउन का अंत, सरकारी कर्मचारियों को मिलेगी सैलरी

अमेरिका में 43 दिनों तक चले शटडाउन का अंत हो गया है, जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सरकारी फंडिंग बिल पर हस्ताक्षर किए। इससे 14 लाख सरकारी कर्मचारियों को सैलरी मिलने का रास्ता साफ हो गया है। हालांकि, हेल्थकेयर प्रोग्राम ओबामा केयर की सब्सिडी को बढ़ाने की कोई गारंटी नहीं दी गई है, जिस पर डेमोक्रेट नेताओं ने नाराजगी जताई है। जानें इस महत्वपूर्ण घटनाक्रम के बारे में और क्या है आगे की योजना।
 

अमेरिका में शटडाउन समाप्त

न्यूज मीडिया :- अमेरिका में 43 दिनों तक चले ऐतिहासिक शटडाउन का अंत हो गया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सरकारी फंडिंग बिल पर हस्ताक्षर कर दिए हैं, जिससे 14 लाख सरकारी कर्मचारियों को फिर से वेतन मिलने का रास्ता साफ हो गया है। यह बिल हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव्स में 222-209 के मतों से पारित हुआ था, जबकि सीनेट ने इसे पहले ही मंजूरी दे दी थी। इस बिल के तहत सरकार को 31 जनवरी तक फंडिंग प्राप्त होगी, और इस दौरान किसी भी सरकारी एजेंसी को कर्मचारियों की छंटनी करने की अनुमति नहीं होगी।



हालांकि, इस बिल में हेल्थकेयर प्रोग्राम ओबामा केयर यानी ACA सब्सिडी के प्रीमियम टैक्स क्रेडिट्स को बढ़ाने की कोई सुनिश्चितता नहीं दी गई है। ये टैक्स क्रेडिट्स 31 दिसंबर 2025 को समाप्त हो जाएंगे, जिस पर डेमोक्रेट नेताओं ने असंतोष व्यक्त किया है। डेमोक्रेटिक पार्टी का कहना है कि वे इन सब्सिडी को बढ़ाने के लिए संघर्ष जारी रखेंगे और दिसंबर में सीनेट में इस पर मतदान कराने का प्रयास करेंगे।


राष्ट्रपति ट्रम्प ने बिल पर हस्ताक्षर करने से पहले कहा कि देश अब पहले से कहीं अधिक मजबूत स्थिति में है और यह अमेरिका के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है। वहीं, रिपब्लिकन सांसद डेविड श्वाइकर्ट ने इसे एक ऐसे टीवी शो के समान बताया जिसमें असली मुद्दे को समझना मुश्किल है, जबकि डेमोक्रेट नेता मिकी शेरिल ने कहा कि सदन ट्रम्प का रबर स्टैंप नहीं बन सकता।


यह मतदान न्यू जर्सी और एरिजोना में डेमोक्रेट्स की हालिया चुनावी जीत के कुछ दिन बाद हुआ। विशेषज्ञों का मानना है कि इन जीतों के बाद स्वास्थ्य बीमा सब्सिडी बढ़ाने की उम्मीदें बढ़ी थीं, लेकिन इस बिल में यह वादा शामिल नहीं किया गया है। कुल मिलाकर, शटडाउन समाप्त होने से कर्मचारियों और सरकारी एजेंसियों को तात्कालिक राहत मिली है, लेकिन स्वास्थ्य सब्सिडी पर राजनीतिक विवाद अभी जारी है।