चीन ने ब्रह्मपुत्र नदी पर दुनिया के सबसे बड़े बांध का निर्माण शुरू किया
चीन का नया मेगा डैम प्रोजेक्ट
चीन ने तिब्बत के निंगची क्षेत्र में ब्रह्मपुत्र नदी पर एक विशाल बांध के निर्माण की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिसे विश्व का सबसे बड़ा बांध माना जा रहा है। इस परियोजना को दिसंबर में आधिकारिक स्वीकृति मिली थी, और चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग ने इसके शिलान्यास समारोह में भाग लिया। चीन इसे अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं और जलवायु लक्ष्यों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानता है, जबकि भारत ने इस पर अपनी चिंताओं को व्यक्त किया है।
बांध का महत्व और प्रभाव
सरकारी मीडिया शिन्हुआ के अनुसार, यह मेगा डैम न केवल तिब्बत की बिजली आवश्यकताओं को पूरा करेगा, बल्कि अन्य क्षेत्रों में भी बिजली की आपूर्ति करेगा। इस बांध के निर्माण से चीन को अपने कार्बन तटस्थता के लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायता मिलेगी। यह बांध थ्री गॉर्जेस डैम से भी बड़ा होगा, जो अब तक का सबसे बड़ा बांध माना जाता है। यह परियोजना चीन की दीर्घकालिक ऊर्जा और विकास रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
भारत और बांग्लादेश की चिंताएँ
जल प्रवाह पर प्रभाव
ब्रह्मपुत्र नदी भारत और बांग्लादेश के लिए एक महत्वपूर्ण जल स्रोत है। चीन द्वारा इस नदी पर बांध बनाने से दोनों देशों में जल प्रवाह और पारिस्थितिकी तंत्र पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की संभावना है। भारत ने पहले ही इस मुद्दे पर अपनी चिंताओं को व्यक्त किया है और कूटनीतिक स्तर पर अपनी बात रखी है। विशेषज्ञों का मानना है कि बांध के निर्माण से ब्रह्मपुत्र के निचले हिस्सों में पानी की उपलब्धता प्रभावित हो सकती है।
चीन का स्पष्टीकरण और तकनीकी विवरण
पारदर्शिता का आश्वासन
चीन का कहना है कि इस परियोजना से निचले क्षेत्रों को कोई नुकसान नहीं होगा और वह इस पर पारदर्शिता के साथ कार्य करेगा। बांध में 5 बड़े जलविद्युत स्टेशन स्थापित किए जाएंगे, जिससे बड़ी मात्रा में बिजली का उत्पादन संभव होगा। यह बांध भारत की अरुणाचल प्रदेश सीमा के निकट निंगची शहर में बनाया जा रहा है, जो सामरिक दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र माना जाता है। निर्माण कार्य शिलान्यास कार्यक्रम के बाद औपचारिक रूप से आरंभ किया गया है।