पाकिस्तान का नया क्षेत्रीय ब्लॉक: क्या SAARC का भविष्य खतरे में है?
पाकिस्तान का नया दृष्टिकोण
पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने हाल ही में कहा कि SAARC को किसी एक देश की बंधक नहीं बनाया जाना चाहिए। उनके अनुसार, SAARC के भीतर विवाद और राजनीतिक ध्रुवीकरण बढ़ गया है। इस्लामाबाद में आयोजित एक कॉन्क्लेव में उन्होंने स्पष्ट किया कि वे एक नया क्षेत्रीय संगठन स्थापित करना चाहते हैं जिसमें सभी देशों के लिए समान जिम्मेदारियां होंगी, लेकिन भारत को इसमें शामिल नहीं किया जाएगा। उनका मानना है कि भारत के कारण SAARC में सही सहयोग संभव नहीं है।
चीन और बांग्लादेश की भागीदारी
जून में, चीन, पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच तीन बार बातचीत हुई थी, जिसमें आर्थिक विकास, रणनीतिक स्थिरता और क्षेत्रीय सहयोग पर चर्चा की गई थी। पाकिस्तान और चीन ने यह स्पष्ट किया कि यह पहल किसी तीसरे पक्ष के खिलाफ नहीं है। हालांकि, बांग्लादेश ने बाद में इस पहल से दूरी बना ली और इसे आधिकारिक रूप से समर्थन नहीं दिया, जिससे यह प्रस्ताव अधर में रह गया।
पाकिस्तान का नया दांव
पाकिस्तान ने अब स्पष्ट रूप से कहा है कि वह SAARC के स्थान पर एक नया ब्लॉक बनाएगा। उसने चीन और बांग्लादेश को अपने साथ लाने की कोशिश की है। यदि ये देश साथ आते हैं, तो यह दक्षिण एशिया में एक नया शक्ति संतुलन स्थापित कर सकता है। अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में नए गठबंधन और ब्लॉकों का निर्माण महत्वपूर्ण होता है, खासकर जब पुराने संगठनों को छोड़कर नए बनाए जाएं।
क्या नया गुट सफल होगा?
एक बड़ी चुनौती यह है कि SAARC में सदस्यों के नाम के पीछे एक इतिहास और विश्वास है, जो वर्षों में बना है। यदि नया गुट बनता है, तो उसे केवल विश्वास नहीं, बल्कि भरोसा भी जीतना होगा। चीन-पाकिस्तान-बांग्लादेश का नया समूह दक्षिण एशियाई भू-राजनीति में हलचल ला सकता है, लेकिन इसके खिलाफ कई देशों की आपत्तियां भी हो सकती हैं।
भारत के लिए क्या मायने रखता है?
यदि पाकिस्तान का नया समूह बनता है और भारत बाहर रह जाता है, तो भारत के लिए अकेलेपन का मतलब हो सकता है। यह रणनीतिक असमर्थता या अलगाव का संकेत हो सकता है। इससे भारत की दक्षिण एशिया में भूमिका प्रभावित हो सकती है, और क्षेत्रीय आर्थिक, सुरक्षा और कूटनीतिक मामलों में चुनौतियां बढ़ सकती हैं।
SAARC का भविष्य
यदि पाकिस्तान-चीन-बांग्लादेश नया गुट बना लेते हैं, तो SAARC की विश्वसनीयता और प्रासंगिकता दोनों पर सवाल उठेंगे। SAARC के अन्य सदस्य और अंतरराष्ट्रीय समुदाय यह देखेंगे कि क्या नया ब्लॉक केवल एक राजनीतिक चाल है या यह एक दीर्घकालिक गठबंधन है। यह तय होना बाकी है कि SAARC केवल नाम रह जाएगा या पूरी तरह समाप्त हो जाएगा।
दक्षिण एशिया के लिए नया मोड़
पाकिस्तान का यह नया प्रस्ताव दक्षिण एशिया में भू-राजनीति को फिर से आकार दे सकता है। यदि यह सफल होता है, तो चीन-पाकिस्तान-बांग्लादेश नया त्रिकोण बनेगा। लेकिन इसके साथ क्षेत्रीय अस्थिरता, भारत-पक्षीय नाखुशी और नए विवाद भी उत्पन्न हो सकते हैं। इस दिशा में बदलाव केवल कागजों पर नहीं, बल्कि वास्तविकता में भी दिखना चाहिए, तभी यह स्पष्ट होगा कि यह पहल नई उम्मीद या नई चुनौतियाँ लेकर आई है।