पाकिस्तान ने CPEC से लाभ उठाने में क्यों किया असफल? जानें मंत्री की चौंकाने वाली बातें
पाकिस्तान की CPEC से निराशा
नई दिल्ली: पाकिस्तान के एक उच्च पदस्थ मंत्री ने यह स्वीकार किया है कि उनका देश चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) से कोई महत्वपूर्ण लाभ नहीं उठा सका। उन्होंने बताया कि पूर्व सरकारों की नीतियों और चीनी निवेशकों के खिलाफ उठाए गए कदमों के कारण पाकिस्तान को इस महत्वाकांक्षी परियोजना से कोई फायदा नहीं मिला। योजना मंत्री अहसान इकबाल ने इस स्थिति के लिए राजनीतिक कारणों को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि CPEC से मिलने वाले लाभों को भुनाने के कई अवसर गंवा दिए गए हैं।
पाकिस्तान के लिए खोया हुआ मौका
अहसान इकबाल ने पाकिस्तान ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स द्वारा आयोजित डेटाफेस्ट कॉन्फ्रेंस में अपने विचार साझा करते हुए क्रिकेट का उदाहरण दिया और कहा कि 'पाकिस्तान CPEC से कोई ठोस लाभ नहीं उठा सका।' उन्होंने आगे बताया कि चीन ने पाकिस्तान की मदद की, लेकिन विपक्षी दलों ने चीनी निवेश को लेकर कई विवाद खड़े किए, जिससे परियोजना की सफलता में बाधा आई। उन्होंने इमरान खान की पार्टी को इस विफलता का जिम्मेदार ठहराया, जो देश के लिए एक महत्वपूर्ण आर्थिक अवसर को खोने का कारण बनी।
CPEC की महत्वाकांक्षाएं और पाकिस्तान का नुकसान
CPEC को 21वीं सदी की सबसे महत्वाकांक्षी आर्थिक और रणनीतिक परियोजनाओं में से एक माना जाता है। यह परियोजना चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। CPEC के तहत चीन के शिनजियांग क्षेत्र को पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह से जोड़ने की योजना है, जिससे व्यापार, परिवहन और ऊर्जा नेटवर्क को मजबूत किया जा सके। इस परियोजना की कुल लागत 60 अरब अमेरिकी डॉलर है, जिसमें सड़क, रेल, गैस पाइपलाइनों के साथ-साथ हाइड्रो पावर और सोलर परियोजनाओं का निर्माण शामिल है।
CPEC का प्रभाव और पाकिस्तान का नुकसान
CPEC के माध्यम से पाकिस्तान को जो लाभ मिलने की उम्मीद थी, वह अब तक हासिल नहीं हो सका। इस परियोजना के तहत विकसित होने वाले हाईवे, रेलवे लाइनें और ऊर्जा नेटवर्क पाकिस्तान के लिए गेम-चेंजर हो सकते थे, लेकिन राजनीतिक विवादों और कार्यान्वयन में रुकावटों के कारण इसका लाभ कम से कम हो गया है। इसके अलावा, ग्वादर पोर्ट का विकास भी पाकिस्तान के लिए एक रणनीतिक संपत्ति हो सकता था, जिससे व्यापार और नौवहन मार्गों में एक नई दिशा मिलती।
चीन की यह परियोजना न केवल पाकिस्तान के लिए आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण थी, बल्कि वैश्विक दृष्टिकोण से भी यह चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का प्रमुख हिस्सा थी, जो चीन को वैश्विक कनेक्टिविटी और व्यापार के नए रास्ते खोलने का अवसर देती थी।