पाकिस्तान ने अमेरिका से रिश्ते सुधारने के लिए लॉबिंग में करोड़ों खर्च किए
पाकिस्तान की लॉबिंग रणनीति
पाकिस्तान ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ संबंध सुधारने के लिए हाल के महीनों में लाखों रुपये लॉबिंग पर खर्च किए हैं। विभिन्न रिपोर्टों के अनुसार, इस कूटनीतिक प्रयास में पाकिस्तान ने न केवल अमेरिकी थिंक-टैंक्स और लॉबिंग फर्मों की सहायता ली, बल्कि ट्रम्प को शांति के नोबेल पुरस्कार के लिए नामांकित करने में भी योगदान दिया।
दिलचस्प यह है कि कुछ साल पहले ट्रम्प ने पाकिस्तान को धोखे और झूठ का देश बताते हुए मदद रोकने की घोषणा की थी। उस समय ट्रम्प प्रशासन ने पाकिस्तान की सैन्य सहायता भी निलंबित कर दी थी। लेकिन अब भू-राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव और अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद, पाकिस्तान ने वॉशिंगटन में अपनी स्थिति को मजबूत करने की कोशिशें शुरू कर दी हैं।
सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान सरकार ने कई अमेरिकी लॉबिंग कंपनियों के साथ समझौते किए हैं, जिनका उद्देश्य ट्रम्प को यह संदेश देना है कि इस्लामाबाद अमेरिका का विश्वसनीय साझेदार बनना चाहता है। यह भी कहा जा रहा है कि इन प्रयासों के दौरान कुछ संस्थाओं ने ट्रम्प को नोबेल के लिए नामांकित करने की सिफारिश की।
कूटनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तान के सामने दो प्रमुख लक्ष्य हैं—
- अमेरिका के साथ सैन्य और आर्थिक सहयोग को पुनर्स्थापित करना
- ट्रम्प प्रशासन के दौरान कश्मीर और अफगानिस्तान पर अपनी स्थिति को मजबूत करना
हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि केवल लॉबिंग के माध्यम से ट्रम्प का विश्वास जीतना आसान नहीं होगा। ट्रम्प ने अपने कार्यकाल में पाकिस्तान पर कई बार आतंकवाद के खिलाफ “दोगली नीति” अपनाने का आरोप लगाया था। अब यह देखना होगा कि पाकिस्तान के इस महंगे अभियान का अमेरिका-पाकिस्तान संबंधों पर क्या प्रभाव पड़ता है।