प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना: कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव
कृषि परिदृश्य में बदलाव की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम
नई दिल्ली - केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना (पीएमडीडीकेवाई) को मंजूरी देकर देश के कृषि क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण बदलाव लाने का निर्णय लिया है। यह योजना केंद्रीय बजट 2025-26 में पहली बार पेश की गई थी और इसका उद्देश्य 100 कृषि जिलों में विकास को गति देना है। यह योजना 11 मंत्रालयों की 36 केंद्रीय योजनाओं के माध्यम से कार्यान्वित की जाएगी और इसे 2025-26 से शुरू किया जाएगा, जो छह वर्षों तक चलेगी। इसके लिए वार्षिक बजट 24,000 करोड़ रुपये निर्धारित किया गया है।
इस योजना का मुख्य उद्देश्य 100 निम्न प्रदर्शन वाले कृषि जिलों को शामिल करना है, जिसमें 24,000 करोड़ रुपये का वार्षिक बजट होगा। इसका लक्ष्य कृषि उत्पादकता में वृद्धि, फसल विविधीकरण को बढ़ावा देना, सिंचाई और भंडारण में सुधार करना और ऋण की उपलब्धता सुनिश्चित करना है। योजना का मुख्य ध्यान कृषि और संबंधित गतिविधियों पर होगा, जिससे 1.7 करोड़ किसानों को सीधे लाभ होगा। जिला अधिकारियों, कृषि विश्वविद्यालयों और नीति आयोग के सहयोग से जिला-स्तरीय योजनाएं तैयार की जाएंगी। किसान ऐप और जिला रैंकिंग प्रणाली के माध्यम से पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जाएगी।
यह योजना सफल आकांक्षी जिला कार्यक्रम के परिणामों पर आधारित है, जिससे 1.7 करोड़ किसानों को लाभ मिलने की उम्मीद है। प्रत्येक राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में जिलों की संख्या शुद्ध फसल क्षेत्र और परिचालन जोत के हिस्से पर निर्भर करेगी। संतुलित भौगोलिक समावेशन सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक राज्य से कम से कम एक जिले का चयन किया जाएगा। ये जिले कृषि सुधार के केंद्र होंगे, जो उनकी जलवायु परिस्थितियों और फसल पैटर्न के अनुसार होंगे। पीएमडीडीकेवाई के तहत प्रत्येक चयनित जिले में एक जिला धन-धान्य कृषि योजना समिति का गठन किया जाएगा, जिसमें प्रगतिशील किसानों और विभागीय अधिकारियों को शामिल किया जाएगा।
ये योजनाएं जिले में सभी परिवर्तन योजनाओं के समन्वित कार्यान्वयन का मार्गदर्शन करेंगी। प्रत्येक धन-धान्य जिले की प्रगति को एक केंद्रीय निगरानी डैशबोर्ड पर 117 प्रमुख प्रदर्शन संकेतकों (केपीआई) के माध्यम से ट्रैक किया जाएगा। मासिक समीक्षा के दौरान प्रदर्शन का आकलन किया जाएगा, जिससे कमियों को उजागर किया जा सके और जवाबदेही बढ़ाई जा सके। जिला स्तर पर गठित टीमों के समान राज्य स्तर पर भी टीमें बनाई जाएंगी, जिनकी जिम्मेदारी योजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करना होगी। केंद्रीय स्तर पर दो टीमें गठित की जाएंगी: एक केंद्रीय मंत्रियों के अधीन और दूसरी सचिवों एवं विभागीय अधिकारियों के अधीन।
जमीनी स्तर पर निगरानी को मज़बूत करने के लिए, प्रत्येक ज़िले में केंद्रीय नोडल अधिकारी नियुक्त किए जाएंगे। ये अधिकारी नियमित रूप से क्षेत्र का दौरा करेंगे, प्रगति की निगरानी करेंगे और स्थानीय टीमों के साथ समन्वय करेंगे।