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प्रधानमंत्री मोदी की भूटान के चौथे नरेश से मुलाकात और शांति प्रार्थना महोत्सव में भागीदारी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भूटान के चौथे नरेश जिग्मे सिंग्ये वांगचुक से थिम्पू में मुलाकात की और वैश्विक शांति प्रार्थना महोत्सव में भाग लिया। इस अवसर पर, मोदी ने नरेश को उनकी 70वीं जयंती पर बधाई दी और दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने पर चर्चा की। जानें इस महत्वपूर्ण बैठक के बारे में और भूटान के विकास में नरेश की भूमिका के बारे में।
 

प्रधानमंत्री मोदी की भूटान यात्रा

थिम्पू: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को भूटान के चौथे नरेश जिग्मे सिंग्ये वांगचुक से मुलाकात की। इस अवसर पर उन्होंने वैश्विक शांति प्रार्थना महोत्सव में भाग लिया। मोदी ने चौथे नरेश को उनकी 70वीं जयंती पर बधाई दी और भारत सरकार तथा जनता की ओर से उनके स्वास्थ्य और कल्याण की कामना की। उन्होंने भूटान-भारत मित्रता को मजबूत करने में चौथे नरेश के नेतृत्व और मार्गदर्शन के लिए आभार व्यक्त किया। दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों और साझा हितों पर चर्चा की, जिसमें आध्यात्मिक और सांस्कृतिक संबंधों को भी रेखांकित किया गया।


पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर मुलाकात की तस्वीर साझा करते हुए लिखा, "महामहिम चौथे नरेश के साथ एक सकारात्मक बैठक हुई। भारत-भूटान संबंधों को मजबूत करने के लिए उनके प्रयासों की सराहना की। ऊर्जा, व्यापार, प्रौद्योगिकी और कनेक्टिविटी में सहयोग पर चर्चा की गई। गेलेफू माइंडफुलनेस सिटी परियोजना की प्रगति की भी सराहना की गई, जो हमारी एक्ट ईस्ट नीति के अनुरूप है।"


मंगलवार को, मोदी ने चौथे नरेश की 70वीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित समारोह में भी भाग लिया, जिसमें भारत और भूटान के बीच स्थायी मित्रता और आध्यात्मिक संबंधों की पुष्टि की गई।


जिग्मे सिंग्ये वांगचुक का जन्म 11 नवंबर, 1955 को हुआ था। उन्होंने 1972 से 2006 तक भूटान के चौथे नरेश के रूप में कार्य किया और उन्हें भूटान के सबसे प्रिय राजाओं में से एक माना जाता है। उनके शासनकाल में भूटान का आधुनिकीकरण हुआ और राष्ट्रीय एकता को मजबूती मिली।


प्रधानमंत्री मोदी और भूटान के नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक ने ऊर्जा, क्षमता निर्माण, संपर्क, प्रौद्योगिकी, रक्षा और सुरक्षा जैसे सहयोग के विभिन्न क्षेत्रों पर चर्चा की। प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता के बाद, दोनों नेताओं ने संयुक्त रूप से 1020 मेगावाट की पुनात्सांगछू-II जलविद्युत परियोजना का उद्घाटन किया, जो भारत और भूटान के बीच सहयोग का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है।