भारत-रूस संबंध: एक नई ऊंचाई की ओर
भारत और रूस के संबंधों की मजबूती
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत और रूस के रिश्तों को 'ध्रुव तारे की तरह अटल' करार दिया। उन्होंने बताया कि 25 साल पहले राष्ट्रपति पुतिन ने साझेदारी की नई नींव रखी थी। इसके बाद से दोनों देशों ने कई संकटों का सामना किया, लेकिन उनके संबंध हमेशा स्थिर रहे। दोनों देशों ने अपने नागरिकों के बीच संबंधों को और मजबूत करने के साथ-साथ आर्थिक सहयोग बढ़ाने के नए लक्ष्य निर्धारित किए।
रूस: भारत का विश्वसनीय मित्र
रूस को सही मायनों में भारत का सदाबहार मित्र कहा जा सकता है। कई मौकों पर रूस का वीटो भारत के लिए सहायक रहा है। 1971 की लड़ाई के दौरान, रूस की समुद्री ताकत ने भारत की मदद की थी। रूस की तकनीक ने भारत की सेना को मजबूत किया है और कुडनकुलम में परमाणु ऊर्जा उत्पादन में भी सहायता की है।
पुतिन की भारत यात्रा
राष्ट्रपति पुतिन की भारत यात्रा के दौरान, दोनों नेताओं के बीच सहज संवाद और सहयोग की भावना देखने को मिली। पुतिन ने स्पष्ट किया कि वे केवल तेल और गैस की बात करने नहीं आए हैं, बल्कि भारत से रोजमर्रा की वस्तुओं और सेवाओं की खरीद बढ़ाने के लिए भी तैयार हैं।
नई व्यापार संभावनाएं
रूस के साथ व्यापार बढ़ाने से भारत के औद्योगिक क्षेत्र में तेजी आएगी। राष्ट्रपति पुतिन की यात्रा के दौरान, मुद्रा में कारोबार करने पर सहमति बनी, जिससे भारत का आयात बिल कम होगा।
शिक्षा और रोजगार के नए अवसर
भारत और रूस के बीच हुए शिखर सम्मेलन में कुशल पेशेवरों को रोजगार देने पर सहमति बनी। इसके साथ ही, भारतीय छात्रों के लिए रूस में नए अवसर भी खुलेंगे।
शांति की ओर एक कदम
प्रधानमंत्री मोदी ने यूक्रेन युद्ध पर भी बात की और शांति की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत हमेशा शांति का पक्षधर रहा है।
भारत की नई कूटनीति
भारत ने दिखाया है कि वह अब किसी एक देश या संगठन पर निर्भर नहीं है। वह अपने राष्ट्रीय हितों के अनुसार नीतियां बना रहा है।