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सोम प्रदोष व्रत: कार्तिक महीने का अंतिम व्रत कल

सोम प्रदोष व्रत, जो कार्तिक महीने का अंतिम व्रत है, कल मनाया जाएगा। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का विशेष महत्व है। ज्योतिषियों के अनुसार, इस दिन कई शुभ योग बन रहे हैं, जो साधक की इच्छाओं को पूरा करने में सहायक होते हैं। जानें इस व्रत का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में विस्तार से।
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सोम प्रदोष व्रत: कार्तिक महीने का अंतिम व्रत कल

भगवान शंकर की पूजा का विशेष दिन


शिववास और रवि योग में करें शंकर भगवान की पूजा
प्रत्येक महीने की कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत का आयोजन किया जाता है। इस बार कार्तिक महीने का अंतिम प्रदोष व्रत कल, यानी सोमवार को मनाया जाएगा। चूंकि यह सोमवार को है, इसे सोम प्रदोष व्रत कहा जाएगा। इस दिन भगवान महादेव और माता पार्वती की भक्ति भाव से पूजा की जाएगी। ज्योतिषियों के अनुसार, इस दिन कई शुभ योग जैसे रवि, शिववास और हर्षण बन रहे हैं, जो साधक की सभी इच्छाओं को पूरा करने में सहायक होते हैं। त्रयोदशी तिथि 3 नवंबर को सुबह 05:07 बजे से शुरू होकर 4 नवंबर को सुबह 02:05 बजे तक रहेगी।


सोम प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त

वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 03 नवंबर को सुबह 05:07 बजे प्रारंभ होगी और 04 नवंबर को सुबह 02:05 बजे समाप्त होगी। इस दिन का अंतिम प्रदोष व्रत मनाया जाएगा।


सोम प्रदोष व्रत के शुभ योग

इस दिन हर्षण योग का संयोग भी है, जो प्रदोष काल में शाम 07:40 बजे समाप्त होगा। ज्योतिष में इसे शुभ माना जाता है। इस योग में शिव शक्ति और चंद्र देव की पूजा करने से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।


शिववास योग

सोम प्रदोष व्रत पर शिववास का निर्माण हो रहा है, जो देर रात 02:05 बजे तक रहेगा। इस समय भगवान शिव नंदी की सवारी करेंगे। शिववास योग में भगवान शिव का अभिषेक करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है।


रवि योग

कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर रवि योग का संयोग दोपहर 03:05 बजे से शुरू होगा और 04 नवंबर को सुबह समाप्त होगा। इस योग में भगवान शिव की पूजा करने से आरोग्यता का वरदान प्राप्त होता है और सभी प्रकार के शारीरिक और मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है।