आम्रपाली हार्टबीट सिटी: सपनों के महल की चाभियां कहां हैं?

सपनों के महल की चाभियां कहां हैं?
कई लोगों ने अपने सपनों को साकार करने के लिए कड़ी मेहनत की, लेकिन अब वे अपने अधूरे ख्वाबों के साथ जागते हैं। सेक्टर 107 की आम्रपाली हार्टबीट सिटी में घर खरीदने वालों ने अपने जीवन की सारी बचत लगाई थी। यह वह स्थान है जहां लोगों ने केवल एक घर नहीं, बल्कि अपने सपनों का महल खरीदा था। लेकिन अब हर दरवाज़ा एक सवाल बन गया है, और हर सवाल के पीछे एक टूटी हुई उम्मीद छिपी है।
क्या हुआ हमारे सपनों के महल को?
यह सवाल केवल एक पोस्टर पर नहीं लिखा गया है, बल्कि यह हर माता-पिता की आंखों में और उनके माथे की शिकन में स्पष्ट है। पहले इस सोसायटी को 'लक्ज़री' कहकर बेचा गया था, लाखों रुपये लिए गए थे, और हर प्रकार की सुविधाओं का वादा किया गया था। लेकिन अब CAM चार्जेस 3.95 रुपये प्रति वर्ग फ़ीट हैं, जो किसी भी तर्क से परे हैं।
बच्चों की पढ़ाई पर असर
सिर्फ़ एक पॉइंट बिजली की आपूर्ति है, और जब इस बारे में पूछा गया, तो जवाब मिला कि यही स्थिति है। AOA के कुछ सदस्य खुद ही अवैध निर्माण कर रहे हैं। फेज़-1 में केवल 60 मज़दूर काम कर रहे हैं, और टाइमलाइन का कोई पता नहीं है। लिफ्टें चालू नहीं हैं, OC नहीं है, PNG नहीं है, और बायर्स के लिए ब्याज माफी भी नहीं है। कई परिवारों ने अपने बच्चों की पढ़ाई रोक दी है, कुछ ने शादी टाल दी है, और कुछ ने अपने माता-पिता को गांव वापस भेज दिया है। यह सब इसलिए हो रहा है क्योंकि उन्हें EMI और किराया दोनों चुकाना है।
निवासियों की मांगें
AOA और NBCC के दफ्तरों में जवाबों की कमी है, और इसी चुप्पी में निवासियों की आवाज़ उभर रही है। निवासियों की मांग है कि AOA की कार्यप्रणाली पारदर्शी हो, NBCC एक स्पष्ट टाइमलाइन और कार्यबल योजना प्रदान करे, और हर बड़े निर्णय में निवासियों की सहमति ली जाए। यह कहानी केवल आम्रपाली हार्टबीट सिटी की नहीं है, बल्कि हर उस भारतीय की है जिसने अपनी ज़मीन बेची, मां की चूड़ियां गिरवी रखीं और एक 'घर' का सपना देखा।