भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता: कोई ठोस समझौता नहीं हुआ

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता
भारत अमेरिका व्यापार समझौता: भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते पर चर्चा के लिए 14 से 17 जुलाई तक अमेरिका में आयोजित पांचवें राउंड की वार्ता बिना किसी ठोस परिणाम के समाप्त हुई। दोनों देशों के प्रतिनिधियों ने टैरिफ, बाजार पहुंच और संवेदनशील क्षेत्रों पर विचार-विमर्श किया, लेकिन किसी निर्णायक समझौते पर सहमति नहीं बन पाई। भारत की ओर से विशेष सचिव राजेश अग्रवाल के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने भाग लिया। मुख्य बाधा कृषि और डेयरी क्षेत्र में रही, जहां अमेरिका खुला बाजार चाहता है, जबकि भारत इससे सहमत नहीं है।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, अमेरिका की मांग है कि भारतीय बाजार में उसके कृषि और डेयरी उत्पादों को कम शुल्क या शुल्क मुक्त प्रवेश मिले, ताकि वह अपने उत्पादों की पहुंच बढ़ा सके। हालांकि, भारत का रुख इन क्षेत्रों में स्थानीय उत्पादकों और किसानों के हितों की रक्षा करने का है। सरकार का मानना है कि यदि अमेरिकी उत्पादों को खुली छूट दी गई, तो इससे देश के लघु और मध्यम स्तर के उत्पादकों को नुकसान हो सकता है।
राष्ट्रीय हितों की प्राथमिकता
भारत के लिए राष्ट्रीय हित सर्वोपरि
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने इस संदर्भ में कहा कि भारत के लिए राष्ट्रीय हित सबसे महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत किसी भी बाहरी दबाव में नहीं आएगा और संवाद के माध्यम से ही किसी समझौते तक पहुंचेगा। गोयल ने यह भी कहा कि भारत अपने आईटी, फार्मास्युटिकल और कपड़ा उद्योगों की वैश्विक पहुंच को सुनिश्चित करने पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रहा है।
डील की स्थिति
अंतिम डील नहीं हुई तय
विशेषज्ञों का मानना है कि डील में देरी का मुख्य कारण भारत की रणनीतिक सतर्कता और अपने घरेलू उद्योगों की सुरक्षा की नीति है। वहीं, अमेरिका मुक्त व्यापार की दिशा में आगे बढ़ना चाहता है। दोनों पक्षों के बीच बातचीत जारी रहने की संभावना है, लेकिन फिलहाल कोई अंतिम डील तय नहीं हुई है।
बातचीत के निष्कर्षों का विश्लेषण
बातचीत के निष्कर्षों का विश्लेषण
भारत अब पांचवें राउंड की बातचीत के निष्कर्षों का विश्लेषण करेगा और अपनी अगली रणनीति तैयार करेगा। हालांकि, यह स्पष्ट है कि भारत जल्दबाजी में कोई समझौता नहीं करना चाहता और वह अपने हितों के साथ कोई समझौता नहीं करेगा।