भारतीय शेयर बाजार में गिरावट का सिलसिला जारी: जानें क्या है कारण?

भारतीय शेयर बाजार में गिरावट का सिलसिला
भारतीय शेयर बाजार में लगातार तीसरे सप्ताह गिरावट का दौर जारी रहा। कमजोर अर्निंग सीज़न की शुरुआत और अमेरिका-भारत व्यापार समझौते के संबंध में अनिश्चितता ने निवेशकों की धारणा को प्रभावित किया। सेंसेक्स और निफ्टी 50 दोनों प्रमुख सूचकांक नुकसान के साथ बंद हुए, जिससे बाजार में मंदी का माहौल बना रहा।
निफ्टी और सेंसेक्स में गिरावट
18 जुलाई को निफ्टी 50 में 143 अंकों की कमी आई और यह 24,968.40 पर बंद हुआ। वहीं, सेंसेक्स 502 अंक गिरकर 81,757.73 के स्तर पर पहुंच गया। पिछले तीन हफ्तों में सेंसेक्स लगभग 2,300 अंक यानी 3% गिर चुका है, जबकि निफ्टी में भी इसी तरह की गिरावट देखी गई है।
बैंकिंग शेयरों पर दबाव
रिलायंस ब्रोकिंग लिमिटेड के SVP रिसर्च, अजीत मिश्रा ने बताया कि शुक्रवार को बाजार में आधे प्रतिशत से अधिक गिरावट आई। एक्सिस बैंक के खराब नतीजों के बाद निवेशकों में सतर्कता बढ़ गई। HDFC बैंक और ICICI बैंक के परिणामों ने भी बाजार में चिंता का माहौल बना दिया। उन्होंने कहा कि निफ्टी ने 24,900 के सपोर्ट लेवल का परीक्षण किया और अंततः 24,968.40 पर बंद हुआ।
तीसरे सप्ताह की गिरावट
पिछले सप्ताह के पहले तीन सत्रों में बाजार में हल्की मजबूती देखी गई, लेकिन अंतिम दो सत्रों में यह गिरावट में बदल गई। सप्ताहांत तक निफ्टी और सेंसेक्स दोनों अपने साप्ताहिक निचले स्तरों पर बंद हुए। बजाज ब्रोकिंग के अनुसार, निफ्टी के वीकली चार्ट पर एक 'बियर कैंडल' बनी है, जो दर्शाती है कि करेक्शन फेज अभी खत्म नहीं हुआ है। यदि निफ्टी 24,900 के नीचे स्थायी रूप से टूटता है, तो अगला सपोर्ट 24,600–24,400 के स्तर पर हो सकता है।
बैंक निफ्टी पर नजर
बैंक निफ्टी में भी लगातार दूसरी बार बिकवाली देखने को मिली। शुक्रवार को यह 10 दिन की कंसोलिडेशन रेंज 56,500–57,600 को तोड़कर नीचे आया। यदि कमजोरी जारी रहती है, तो बैंक निफ्टी में अगला सपोर्ट 55,000 के करीब हो सकता है। फिलहाल 56,000–55,500 का जोन महत्वपूर्ण शॉर्ट-टर्म सपोर्ट बना हुआ है।
अगले सप्ताह के बाजार ट्रिगर
Reliance, HDFC Bank, ICICI Bank जैसे प्रमुख कंपनियों के तिमाही नतीजे।
US-India ट्रेड डील पर संभावित अपडेट।
मौद्रिक नीति और मैक्रोइकोनॉमिक डेटा, जैसे मुद्रास्फीति और औद्योगिक उत्पादन।
विदेशी निवेशकों (FIIs) की गतिविधियां और वैश्विक संकेतक भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।