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रघुराम राजन ने अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता में कृषि क्षेत्र पर सतर्क रहने की सलाह दी

भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता में कृषि क्षेत्र को लेकर सतर्क रहने की सलाह दी है। उन्होंने बताया कि विकसित देशों द्वारा कृषि को दी जाने वाली सब्सिडी पर ध्यान देना आवश्यक है। राजन ने भारत की आर्थिक वृद्धि दर और संभावित व्यापारिक चुनौतियों पर भी चर्चा की। जानें उनके विचार और भारत की व्यापार नीति के बारे में।
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रघुराम राजन ने अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता में कृषि क्षेत्र पर सतर्क रहने की सलाह दी

व्यापार समझौते में कृषि क्षेत्र की चुनौतियाँ

भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने शुक्रवार को कहा कि अमेरिका के साथ व्यापार समझौते की बातचीत के दौरान भारत को विशेष रूप से कृषि क्षेत्र में सतर्क रहना चाहिए। उन्होंने पीटीआई-वीडियो से बातचीत में बताया कि विकसित देशों द्वारा कृषि क्षेत्र को दी जाने वाली सब्सिडी पर ध्यान देना आवश्यक है।


राजन ने यह भी कहा कि वर्तमान में भारत की आर्थिक वृद्धि दर छह से सात प्रतिशत के बीच स्थिर है, लेकिन वैश्विक व्यापारिक अनिश्चितताओं के कारण इसमें कमी आ सकती है।


कृषि उत्पादों के आयात पर चिंता

उन्होंने कहा, "कृषि जैसे क्षेत्रों में व्यापार समझौते जटिल होते हैं क्योंकि हर देश अपने उत्पादकों को सब्सिडी देता है। भारत के उत्पादक छोटे हैं और उन्हें कम सब्सिडी मिलती है। ऐसे में यदि कृषि उत्पादों का आयात बढ़ता है, तो इससे हमारे किसानों को नुकसान हो सकता है।"


भारत और अमेरिका के बीच प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर इस सप्ताह वाशिंगटन में बातचीत का पांचवां दौर हुआ। भारत अमेरिकी प्रशासन से अप्रैल में घोषित 26 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क को हटाने की मांग कर रहा है।


अमेरिका के साथ व्यापार समझौते की संभावनाएँ

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि भारत के साथ प्रस्तावित व्यापार समझौता इंडोनेशिया के साथ हुए समझौते के समान होगा, जिससे कृषि क्षेत्र में आयात की अनुमति एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन सकता है।


राजन ने सुझाव दिया कि विकसित देशों से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को बढ़ावा देकर दुग्ध उत्पादों में मूल्यवर्धन किया जा सकता है, जिससे भारतीय दुग्ध उत्पादकों को लाभ होगा। उन्होंने कहा, "हमें यह नहीं कहना चाहिए कि हम अन्य देशों से अधिक दूध का आयात करने के लिए तैयार हैं, बल्कि हमें एक समझदारी से रणनीति बनानी चाहिए।"


भारत की व्यापार नीति

राजन ने कहा कि भारत को अमेरिका द्वारा लगाए गए अतिरिक्त शुल्कों के मुकाबले कुछ अवसर भी मिल सकते हैं। यदि अमेरिका द्वारा चीन या अन्य एशियाई देशों पर लगाए गए शुल्क भारत से अधिक हैं, तो कुछ विनिर्माण गतिविधियाँ भारत की ओर रुख कर सकती हैं।


उन्होंने यह भी कहा कि भारत ने कुछ क्षेत्रों में संरक्षणवादी रवैया अपनाया है, लेकिन उचित प्रतिस्पर्धा लाने और शुल्कों में कटौती से अर्थव्यवस्था को लाभ मिल सकता है।