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अखुरथ संकष्टी चतुर्थी: भगवान गणेश को भोग लगाने का महत्व

अखुरथ संकष्टी चतुर्थी हर साल पौष मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाई जाती है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है, जिसमें उनके प्रिय भोग अर्पित करने का विशेष महत्व है। जानें कब है यह तिथि, पूजा का शुभ मुहूर्त और भगवान गणेश को कौन से भोग अर्पित करने चाहिए। इस व्रत के माध्यम से भक्तों को सुख-समृद्धि और भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है।
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अखुरथ संकष्टी चतुर्थी: भगवान गणेश को भोग लगाने का महत्व

अखुरथ संकष्टी चतुर्थी का महत्व


वरना नहीं मिलेगा पूजा और व्रत का फल
हर वर्ष पौष मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को अखुरथ संकष्टी चतुर्थी का व्रत मनाया जाता है। यह व्रत भगवान गणेश को समर्पित है, जिसमें उनकी पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन व्रत करने वाले भक्तों को भगवान गणेश की विशेष कृपा प्राप्त होती है।


भगवान गणेश की कृपा से सभी दुख दूर होते हैं और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है। इस दिन बप्पा को उनके प्रिय भोग अर्पित करने से जीवन में शुभता आती है। यदि इस दिन भोग नहीं चढ़ाया जाता है, तो पूजा अधूरी मानी जाती है और व्रत का फल भी नहीं मिलता।


अखुरथ संकष्टी चतुर्थी की तिथि

कब है अखुरथ संकष्टी चतुर्थी?


पंचांग के अनुसार, पौष मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 07 दिसंबर को शाम 06:24 बजे से प्रारंभ होगी और इसका समापन 08 दिसंबर को शाम 04:03 बजे होगा। इस प्रकार, अखुरथ संकष्टी चतुर्थी का व्रत आज रखा जाएगा।


पूजा का शुभ मुहूर्त

अखुरथ संकष्टी चतुर्थी पूजा मुहूर्त


इस दिन सुबह 08:19 से दोपहर 01:31 बजे तक का शुभ मुहूर्त है। चांद निकलने का समय शाम 07:55 बजे है। 07 दिसंबर को राहुकाल शाम 04:06 से 05:24 बजे तक रहेगा।


भगवान गणेश के प्रिय भोग

भगवान गणेश के प्रिय भोग



  • भगवान गणेश को मोदक बहुत प्रिय हैं, इसलिए इस दिन 11 या 21 मोदक का भोग अवश्य लगाएं।

  • बूंदी और बेसन के लड्डू भी भगवान गणेश को पसंद हैं, इसलिए उनका भोग भी अर्पित करें।

  • गणेश जी को केला और गुड़ का भोग लगाना चाहिए।

  • संकष्टी चतुर्थी पर उबले या भुने शकरकंद का भोग भी अर्पित करें।