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तुलसी विवाह: महत्व, तिथि और पूजा विधि

तुलसी विवाह एक महत्वपूर्ण हिंदू अनुष्ठान है, जो कार्तिक माह की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष, यह 02 नवंबर 2025 को होगा। इस दिन भगवान श्रीहरि विष्णु, शालिग्राम रूप में, मां तुलसी से विवाह करते हैं। जानें इस अनुष्ठान की पूजा विधि, महत्व और विशेष मंत्रों के बारे में।
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तुलसी विवाह: महत्व, तिथि और पूजा विधि

तुलसी विवाह का महत्व

हिंदू धर्म में तुलसी विवाह एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है, जिसे देवउठनी एकादशी से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक किसी भी दिन मनाया जा सकता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि इस अनुष्ठान के लिए सबसे शुभ मानी जाती है। इस दिन भगवान श्रीहरि विष्णु, शालीग्राम रूप में, मां तुलसी से विवाह करते हैं। इस वर्ष, तुलसी विवाह की पूजा 02 नवंबर 2025 को आयोजित की जाएगी।


तुलसी विवाह की तिथि और मुहूर्त

इस बार तुलसी विवाह का आयोजन 02 नवंबर 2025 को होगा, जो कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि है। ज्योतिष के अनुसार, तुलसी और शालिग्राम का विवाह सायंकाल के समय किया जाता है। गोधूलि मुहूर्त, जो शाम 05:35 से 06:01 बजे तक रहेगा, इस अनुष्ठान के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है।


पूजन विधि

तुलसी विवाह की पूजा के लिए सबसे पहले तुलसी के पौधे को एक साफ स्थान पर रखें और मंडप तैयार करें। मंडप को फूलों, आम के पत्तों और केले के तनों से सजाएं। पूजा स्थल पर गंगाजल, पंचामृत, कपूर, तुलसी के पत्ते, मिठाई, दीप, फल, पुष्प, धूप, वस्त्र, रोली और चावल रखें। भगवान विष्णु के शालिग्राम स्वरूप को स्नान कराएं और तुलसी के पौधे को भी गंगाजल से स्नान कराएं।


विवाह संस्कार

भगवान शालिग्राम को वस्त्र अर्पित करें और मां तुलसी को चुनरी पहनाएं। फिर दोनों को पुष्पमाला अर्पित करें। देवी तुलसी और शालिग्राम के बीच विवाह संस्कार संपन्न कराएं। पहले हल्दी लगाएं, फिर कुमकुम लगाएं। शालिग्राम की प्रतिमा को लेकर तुलसी के चारों ओर 7 बार परिक्रमा करें, जो कि उनके सात फेरों का प्रतीक है। अंत में आरती करें, भोग लगाएं और प्रसाद वितरित करें।


मंत्र

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।।


ॐ ह्रीं ह्रीं श्री लक्ष्मी वासुदेवाय नमः।।


महाप्रसाद जननी, सर्व सौभाग्यवर्धिनी, आधि व्याधि हरा नित्यं, तुलसी त्वं नमोस्तुते।।


वृंदा वृंदावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी, तुलसी कृष्ण जीवनी।।