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मोक्षदा एकादशी: जानें इस पर्व का महत्व और पूजा विधि

मोक्षदा एकादशी, जो अगहन महीने में मनाई जाती है, भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को समर्पित है। इस दिन भगवान कृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था, इसलिए इसे गीता जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। इस व्रत का उद्देश्य मोक्ष की प्राप्ति और लक्ष्मी-नारायण की कृपा प्राप्त करना है। जानें इस पर्व की तिथि, महत्व और पूजा विधि के बारे में विस्तार से।
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मोक्षदा एकादशी: जानें इस पर्व का महत्व और पूजा विधि

मोक्षदा एकादशी का महत्व


भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को समर्पित है मोक्षदा एकादशी
मोक्षदा एकादशी का पर्व अगहन महीने में मनाया जाता है, जो भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को समर्पित है। इस दिन भगवान कृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था, इसलिए इसे गीता जयंती के रूप में भी मनाने की परंपरा है। यह व्रत मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है और लक्ष्मी-नारायण की कृपा प्राप्त करने का अवसर देता है। इस दिन भक्तिभाव से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है।


मोक्षदा एकादशी कब मनाई जाती है?

हर वर्ष अगहन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मोक्षदा एकादशी का पर्व मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, इसी दिन भगवान कृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था। इस दिन को गीता जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। इस व्रत का पुण्य व्यक्ति को मोक्ष दिलाने में सहायक होता है और साधक पर लक्ष्मी नारायण जी की कृपा बरसती है।


मोक्षदा एकादशी की तिथि

पंचांग के अनुसार, अगहन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 30 नवंबर को रात 09:29 बजे प्रारंभ होगी और 01 दिसंबर को रात 07:01 बजे समाप्त होगी। सनातन धर्म में सूर्योदय से तिथि की गणना की जाती है, इसलिए मोक्षदा एकादशी का पर्व 01 दिसंबर को मनाया जाएगा।


मोक्षदा एकादशी का शुभ योग

ज्योतिषियों के अनुसार, मोक्षदा एकादशी पर कई शुभ संयोग बन रहे हैं, जिनमें शिववास योग भी शामिल है। इन योगों में लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करने से घर में सुख और समृद्धि का आगमन होता है। अगहन माह के कृष्ण पक्ष की मोक्षदा एकादशी का पारण 02 दिसंबर को सुबह 07 बजे से 09:05 बजे के बीच किया जाएगा।