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शारदीय नवरात्र का पर्व: 22 सितंबर से शुरू होगा 10 दिनों का उत्सव

शारदीय नवरात्र का पर्व 22 सितंबर से आरंभ होकर एक अक्टूबर तक चलेगा। इस बार यह पर्व 10 दिनों का होगा, जो पिछले नौ वर्षों में पहली बार हो रहा है। इस दौरान देवी दुर्गा की पूजा का विशेष महत्व है। जानें इस पर्व के शुभ संयोग और देवी के वाहन के बारे में, जो सुख-समृद्धि और सकारात्मकता का प्रतीक है।
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शारदीय नवरात्र का पर्व: 22 सितंबर से शुरू होगा 10 दिनों का उत्सव

नवरात्र का विशेष महत्व


  • इस बार नवरात्र का उत्सव 10 दिनों तक चलेगा


जींद। शारदीय नवरात्र का पर्व 22 सितंबर से आरंभ होगा और यह एक अक्टूबर तक चलेगा। इस बार यह पर्व विशेष है क्योंकि यह 10 दिनों तक मनाया जाएगा, जो कि पिछले नौ वर्षों में पहली बार हो रहा है। इससे पहले, 2016 में भी नवरात्र 10 दिनों का था। शास्त्रों के अनुसार, जब नवरात्र की तिथियों में वृद्धि होती है, तो इसे शुभ माना जाता है। इस दौरान देवी शक्ति के नौ रूपों की पूजा का महत्व है। नवरात्र के पहले दिन कलश स्थापना के साथ माता दुर्गा की पूजा का आरंभ होता है।


शुभ संयोग का महत्व

महाराजा असग्रेन मंदिर के पुजारी अशोक शर्मा ने बताया कि नवरात्रि 22 सितंबर को उत्तरा फाल्गुनी और हस्त नक्षत्र के संयोग में शुरू होगी, जिसे शुभ माना जाता है। इस योग में मां दुर्गा की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। इस वर्ष नवरात्रि की तिथियों में वृद्धि के कारण यह 10 दिनों तक चलेगी। हर वर्ष अश्विन प्रतिपदा से दुर्गा नवमी तक नवरात्रि मनाई जाती है, लेकिन इस बार तृतीया तिथि 24 और 25 दोनों दिन रहेगी, जिससे एक दिन की वृद्धि होगी।


सुख-समृद्धि का प्रतीक

नवरात्रि के दौरान तिथियों में वृद्धि को शुभ और पवित्र माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, हर वर्ष माता दुर्गा का आगमन विभिन्न वाहनों से होता है। इस बार माता रानी हाथी पर सवार होकर अपने भक्तों को आशीर्वाद देने आएंगी, जो सुख-समृद्धि और सकारात्मकता का प्रतीक है। शास्त्रों में नवरात्रि के दौरान माता दुर्गा के वाहन का विशेष महत्व है।


माता दुर्गा का वाहन और उसका महत्व

माता के वाहन का चुनाव नवरात्रि के पहले दिन के वार पर निर्भर करता है। यदि नवरात्रि रविवार या सोमवार को शुरू होती है, तो माता का वाहन हाथी होता है। वहीं, यदि यह शनिवार या मंगलवार को शुरू होती है, तो देवी का वाहन घोड़ा होता है, जो सत्ता परिवर्तन या युद्ध का प्रतीक है। गुरुवार या शुक्रवार को नवरात्रि की शुरुआत होने पर देवी पालकी में आती हैं, जो अशुभ माना जाता है। बुधवार को नवरात्रि की शुरुआत होने पर देवी नाव पर सवार होकर आती हैं।