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सोशल फोबिया: युवा मानसिक स्वास्थ्य की नई चुनौती

करनाल में युवा सोशल फोबिया की समस्या का सामना कर रहे हैं, जो उन्हें भीड़ में घबराहट और बातचीत में डर का अनुभव कराता है। डॉक्टरों का कहना है कि यह एक मानसिक विकार है, जिसे अक्सर शर्म या स्वभाव समझा जाता है। काउंसलिंग और परिवार का समर्थन इस स्थिति से निपटने में मदद कर सकता है। जानें इसके लक्षण, कारण और उपचार के उपाय इस लेख में।
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सोशल फोबिया: युवा मानसिक स्वास्थ्य की नई चुनौती

करनाल में सोशल फोबिया की बढ़ती समस्या

करनाल, (Social Phobia): करनाल में आजकल युवाओं को अक्सर इंट्रोवर्ट या कम बोलने वाला समझा जाता है, लेकिन चिकित्सकों का कहना है कि कई मामलों में यह सोशल फोबिया नामक मानसिक विकार है। जिला नागरिक अस्पताल की मानसिक रोग ओपीडी में प्रतिदिन 10 से 15 युवा ऐसे आते हैं, जिन्हें लोगों के बीच घबराहट होती है, असहजता महसूस होती है या बातचीत करने में डर लगता है।


डॉक्टरों की सलाह

मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. सौभाग्य कौशिक के अनुसार, लोग इसे शर्म या स्वभाव समझते हैं, जबकि यह एक चिंता विकार है। ऐसे युवा भीड़ या मंच से दूर रहते हैं और कक्षा में बोलने से कतराते हैं। यदि इसका इलाज नहीं किया गया, तो यह डिप्रेशन का कारण बन सकता है। सोशल मीडिया के प्रभाव से युवा ऑनलाइन सक्रिय होते हैं, लेकिन वास्तविक जीवन में बातचीत से बचते हैं। फेसबुक और इंस्टाग्राम पर घंटों बिताने के बावजूद, वे वास्तविक जीवन में संवाद करने से कतराते हैं। वर्चुअल दुनिया उन्हें मजबूत बनाने के बजाय कमजोर कर रही है।


काउंसलिंग से डर को हराने के उपाय

काउंसलिंग से डर को हराओ

डॉ. संतोष ने काउंसलिंग प्रक्रिया के बारे में बताया कि पहले मरीज की बात और व्यवहार को समझा जाता है। फिर आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए एक्सरसाइज, रिलैक्सेशन तकनीक और व्यवहारिक चिकित्सा का उपयोग किया जाता है। धीरे-धीरे उन्हें डर वाली स्थितियों का सामना करने के लिए तैयार किया जाता है। परिवार और दोस्तों का समर्थन सबसे महत्वपूर्ण है। आलोचना के बजाय भरोसा दें और समाज से जोड़ने वाली गतिविधियों में शामिल करें, यह मददगार साबित होता है।


सोशल मीडिया का दबाव

परफेक्ट लाइफ का प्रेशर

डॉ. सौभाग्य कौशिक के अनुसार, सोशल मीडिया पर परफेक्ट लाइफ दिखाने का दबाव और लगातार तुलना करने से युवा मानसिक रूप से टूट रहे हैं। काउंसलिंग में यह पता चला कि वे बोलने से इसलिए कतराते हैं क्योंकि उन्हें डर होता है कि सामने वाला उनकी प्रतिक्रिया को नकारात्मक रूप से लेगा। खुद को इंट्रोवर्ट कहकर सामान्य समझना गलत है। पहचानें और समय पर इलाज कराएं, यही मानसिक स्वास्थ्य का पहला कदम है। अन्यथा, चुप्पी आत्मविश्वास को कमजोर कर देती है और युवा डर के जाल में फंस जाते हैं।


सोशल फोबिया और इंट्रोवर्ट में अंतर

Social Phobia: इंट्रोवर्ट और फोबिया में फर्क

इंट्रोवर्ट होना एक सामान्य व्यक्तित्व है, जो छोटे समूहों या अकेले में खुश रहते हैं, जबकि सोशल फोबिया एक मानसिक विकार है। ऐसे लोग जुड़ना चाहते हैं लेकिन डर के कारण ऐसा नहीं कर पाते, जिससे निराशा और अकेलापन होता है।


सोशल फोबिया के लक्षण

सोशल फोबिया के लक्षण पहचानो

भीड़ या नए लोगों से मिलते समय घबराहट या पसीना आना, बातचीत करते समय आवाज का कांपना या चेहरा लाल होना, आत्मविश्वास की कमी और अकेले रहना पसंद करना, बार-बार यह सोचना कि लोग क्या सोचेंगे, ध्यान का केंद्र बनने का डर और आंखों में देखने से झिझकना।