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जर्मनी से अफगान नागरिकों का निर्वासन: नई चुनौतियाँ और स्थिति

अफगान नागरिकों की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं, क्योंकि जर्मनी ने कतर की मदद से 81 अफगान नागरिकों का निर्वासन किया है। यह कदम तालिबान के सत्ता में आने के बाद से जर्मनी से निकाले गए लोगों का दूसरा जत्था है। जर्मन सरकार का कहना है कि केवल न्यायिक जांच में दोषी पाए गए लोगों को ही निकाला गया है। जानें इस प्रक्रिया के पीछे की वजहें और कैसे यह स्थिति अफगान लोगों के लिए नई चुनौतियाँ पैदा कर रही है।
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जर्मनी से अफगान नागरिकों का निर्वासन: नई चुनौतियाँ और स्थिति

अफगान नागरिकों की कठिनाइयाँ

अफगान निर्वासन: अफगानिस्तान के नागरिकों के लिए समस्याएँ बढ़ती जा रही हैं। पहले पाकिस्तान, फिर ईरान और अब जर्मनी से अफगानों को निकाला जा रहा है। शुक्रवार को बर्लिन से एक विमान ने 81 अफगान नागरिकों को अपने साथ लिया। रिपोर्टों के अनुसार, जर्मनी ने कतर की सहायता से यह निर्वासन किया है और यह स्पष्ट किया है कि यह केवल शुरुआत है, और भविष्य में और भी बड़ी संख्या में अफगानों को निकाला जाएगा।


जर्मनी का सख्त रुख

तालिबान के सत्ता में आने के बाद से जर्मनी से निकाले गए लोगों का यह दूसरा समूह है। नई जर्मन सरकार ने पहले ही कड़े आव्रजन कानून लागू करने की घोषणा की थी। चांसलर फ्रेडरिक मर्ज़ ने चुनावी रैली में कहा था कि जर्मनी की सीमाएँ अब सभी के लिए खुली नहीं रहेंगी। उनके नेतृत्व में अफगानों के निर्वासन की प्रक्रिया तेज हो गई है।


निर्वासन की प्रक्रिया

रिपोर्टों के अनुसार, जर्मनी ने जिन अफगान नागरिकों को निकाला है, वे वे लोग हैं जो 2021 में तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान से भाग गए थे। उन्हें उम्मीद थी कि पश्चिमी देश उन्हें स्वीकार करेंगे, लेकिन अब स्थिति कुछ और ही है। जर्मन सरकार का कहना है कि केवल न्यायिक जांच में दोषी पाए गए लोगों को ही निष्कासित किया गया है।


पाकिस्तान और ईरान के बाद जर्मनी

जानकारी के अनुसार, पिछले तीन महीनों में अफगानों को तीन देशों से निकाला गया है: पहले पाकिस्तान, फिर ईरान और अब जर्मनी। 19 अप्रैल को आई एक रिपोर्ट में कहा गया था कि 19,500 पाकिस्तानी नागरिक देश छोड़ चुके हैं। हर दिन 700-800 अफगान नागरिक देश छोड़ रहे हैं। ईरान-पाकिस्तान से निकाले गए अधिकांश लोगों ने अपने देश का मुँह भी नहीं देखा था।


ईरान का योगदान

ईरान ने 29,155 अफगान नागरिकों को निकाला है। इसके अलावा, 11 जुलाई को ईरान और पाकिस्तान दोनों ने लगभग 30,000 अफगान शरणार्थियों को जबरन निकाला। इस कदम के चलते तालिबान सरकार ने ईरान से कहा था कि दूसरों के साथ वैसा ही व्यवहार करें जैसा वे अपने साथ सहन कर सकते हैं।