फौजा सिंह: एक प्रेरणा का अंत, देश ने खोया अपना हीरो

राष्ट्रीय समाचार: एक प्रेरणा का अंत
National News: जिस उम्र को लोग बिस्तर पर बिताते हैं, फौजा सिंह ने उसे अपने लिए एक चुनौती बना दिया था। 114 वर्ष की आयु में उनके अंदर एक अद्भुत ऊर्जा और हौसला था। लेकिन एक तेज़ रफ्तार ने उनकी रफ्तार को छीन लिया, जिससे देश का सिर गर्व से ऊंचा था। ब्यास पिंड की गलियों में, जहां कभी तालियों की गूंज थी, आज शोक का माहौल है। एक लापरवाह ड्राइवर ने केवल एक शरीर को नहीं, बल्कि एक प्रेरणा को भी कुचल दिया। क्या हमारी सड़कें इतनी संवेदनहीन हो गई हैं कि वे उम्र और इज़्ज़त का सम्मान नहीं करतीं? देश ने एक नायक खो दिया है — वह नायक जो कभी थकता नहीं था, कभी रुकता नहीं था।
फौजा सिंह का अंतिम सफर
आज दोपहर 12 बजे, दुनिया के सबसे उम्रदराज धावक फौजा सिंह को उनके पैतृक गांव ब्यास पिंड में अंतिम विदाई दी जाएगी। सुबह 7:30 बजे के आसपास उनका पार्थिव शरीर सिविल अस्पताल से उनके घर लाया गया। यहां परिवार के सदस्यों ने पारंपरिक रीति-रिवाजों के अनुसार अंतिम तैयारी की। गांव में शोक का माहौल है और लोगों की आंखों में आंसू हैं। अंतिम संस्कार में बड़ी संख्या में लोगों के आने की उम्मीद है।
पंजाब के नेता भी आएंगे
फौजा सिंह के अंतिम संस्कार में पंजाब के मुख्यमंत्री और राज्यपाल के आने की संभावना है। सरकार की ओर से उन्हें राज्य स्तर की श्रद्धांजलि दी जा सकती है। गांव में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं और स्थानीय प्रशासन भी मौके पर मौजूद है। लोग उन्हें आखिरी बार देखने के लिए उमड़ रहे हैं, क्योंकि वे देश का गौरव माने जाते थे।
हादसे ने ली जान
सोमवार को फौजा सिंह को एक तेज़ रफ्तार कार ने टक्कर मारी थी। यह हादसा उस समय हुआ जब वे सुबह की सैर पर निकले थे। गंभीर चोटों के कारण उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया, लेकिन इलाज के दौरान उनकी स्थिति बिगड़ती गई और बुधवार को उनका निधन हो गया। उनके जाने से देश को बड़ा नुकसान हुआ है।
एनआरआई युवक की गिरफ्तारी
हादसे के बाद पुलिस ने तुरंत जांच शुरू की। पता चला कि कार चला रहा युवक कनाडा से आया एक एनआरआई है। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया है और उससे पूछताछ जारी है। स्थानीय लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि आरोपी को सख्त सजा दी जाए। हादसे के बाद गांव में गुस्सा और दुख दोनों का माहौल है।
दुनिया को दिखाई थी मिसाल
फौजा सिंह ने 90 साल की उम्र में दौड़ना शुरू किया था। उन्होंने कई अंतरराष्ट्रीय मैराथन में भाग लिया और रिकॉर्ड बनाए। उनका हौंसला और फिटनेस युवाओं के लिए प्रेरणा बन गई थी। उन्हें दुनिया भर में "टर्बो ग्रैंडपा" के नाम से जाना जाता था। उन्होंने साबित किया कि उम्र केवल एक संख्या है।
परिवार और गांव में मातम
उनके परिवार में बेटा, बहू, पोते और परपोते हैं, जो गहरे सदमे में हैं। गांव के लोग उन्हें एक आदर्श बुजुर्ग और प्रेरणास्रोत मानते थे। उनकी बातों में हमेशा सादगी और समझदारी होती थी। उनके जाने से गांव में सन्नाटा छा गया है। हर कोई उन्हें याद कर रहा है।
देश ने खोया एक रत्न
फौजा सिंह लोगों को उम्मीद और जज़्बे का पाठ पढ़ाते थे। उनकी सादगी, मेहनत और दृढ़ निश्चय आने वाली पीढ़ियों के लिए एक उदाहरण है। उनकी मौत से केवल गांव नहीं, बल्कि पूरा देश दुखी है। आज दोपहर वे पंचतत्व में विलीन हो जाएंगे। लोग उन्हें अंतिम प्रणाम कहने के लिए पहुंच रहे हैं।