Newzfatafatlogo

गुजरात की यूनिवर्सिटी ने विकसित किया सौर ऊर्जा से पानी शुद्ध करने वाला उपकरण

गुजरात की तीन प्रमुख विश्वविद्यालयों के वैज्ञानिकों ने एक नया उपकरण विकसित किया है, जो सौर ऊर्जा का उपयोग करके अशुद्ध पानी को पीने योग्य बनाता है। यह नैनो टेक्नोलॉजी पर आधारित उपकरण पूरी तरह से पोर्टेबल है और बिजली की कमी वाले क्षेत्रों में भी कार्य कर सकता है। इसकी विशेषता यह है कि यह बैक्टीरिया और रासायनिक तत्वों को हटाकर शुद्ध जल प्रदान करता है। यह आविष्कार न केवल ग्रामीण क्षेत्रों के लिए वरदान है, बल्कि सैन्य बलों के लिए भी अत्यंत उपयोगी साबित हो सकता है।
 | 
गुजरात की यूनिवर्सिटी ने विकसित किया सौर ऊर्जा से पानी शुद्ध करने वाला उपकरण

गुजरात में सौर ऊर्जा से पानी शुद्ध करने की नई तकनीक

गुजरात समाचार: गुजरात की तीन प्रमुख विश्वविद्यालयों के शोधकर्ताओं ने एक अभिनव उपकरण तैयार किया है, जो सौर ऊर्जा का उपयोग करके अशुद्ध जल को पीने योग्य बनाने में सक्षम है। यह नैनो टेक्नोलॉजी पर आधारित उपकरण एम.एस. यूनिवर्सिटी, गुजरात टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी और नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित किया गया है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह पूरी तरह से पोर्टेबल है और सौर ऊर्जा से संचालित होता है, जिससे यह बिजली की कमी वाले क्षेत्रों में भी उपयोगी साबित होता है।


नैनो टेक्नोलॉजी का उपयोग करते हुए उन्नत जल शोधन

यह उपकरण एक विशेष पॉलिमेरिक केस में स्थापित है, जिसमें नैनो-कॉम्पोजिट से बना एक फिल्ट्रेशन मेम्ब्रेन है। यह मेम्ब्रेन पानी में मौजूद बैक्टीरिया, वायरस और रासायनिक तत्वों को हटाकर शुद्ध जल प्रदान करता है। इसकी संरचना इस प्रकार से बनाई गई है कि यह न केवल दिन में सूर्य की रोशनी से कार्य करता है, बल्कि रात में भी इनबिल्ट बैटरी के माध्यम से कार्य करने में सक्षम है। इस कारण यह हर परिस्थिति में निरंतर काम कर सकता है।


दूरदराज के क्षेत्रों के लिए उपयोगी

इस नए आविष्कार की विशेषता यह है कि यह उन दूरदराज और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए अत्यंत लाभकारी है, जहां बिजली की उपलब्धता नहीं है और स्वच्छ जल की कमी एक बड़ी समस्या है। इसके अलावा, यह उपकरण सैन्य बलों के लिए भी बहुत उपयोगी हो सकता है, जब वे किसी मिशन या कैंप के दौरान जल की कमी का सामना करते हैं, तो वे इस सौर जल शोधन उपकरण की मदद से पानी को साफ कर सकते हैं।


पेटेंट प्राप्त, वैज्ञानिकों की सराहना

इस परियोजना में कुल 10 वैज्ञानिकों की टीम ने मिलकर कार्य किया है और इसे आधिकारिक रूप से पेटेंट भी मिल चुका है। डॉ. संजीव कुमार (एसोसिएट प्रोफेसर, एम.एस. यूनिवर्सिटी) और डॉ. वैशाली सुथार (असिस्टेंट प्रोफेसर, एम.एस. यूनिवर्सिटी) ने इस शोध में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। पीने के पानी जैसी बुनियादी आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए, यह खोज न केवल गुजरात के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जा रही है।