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भारत-पाकिस्तान संघर्ष विराम: विशेषज्ञों की चिंताएँ और सवाल

भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम की घोषणा ने सभी को चौंका दिया। विशेषज्ञ ब्रह्मा चेलानी ने इस पर अपनी असहमति जताते हुए कहा कि भारत ने अपनी सैन्य स्थिति का सही उपयोग नहीं किया। उन्होंने इतिहास के संदर्भ में भारत की राजनीतिक प्रवृत्तियों पर सवाल उठाए। जानें इस संघर्ष विराम के पीछे की राजनीति और इसके संभावित प्रभाव।
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भारत-पाकिस्तान संघर्ष विराम: विशेषज्ञों की चिंताएँ और सवाल

संघर्ष विराम की अनपेक्षित घोषणा

भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम की घोषणा शनिवार को एक अप्रत्याशित घटना के रूप में उभरी। कुछ घंटे पहले, युद्ध का खतरा बढ़ गया था, जब पाकिस्तान की सेनाएँ सीमा के निकट सक्रिय हो गई थीं और भारतीय सेना उच्च सतर्कता पर थी। लेकिन अचानक शाम होते-होते शांति का माहौल बन गया, जिसने सभी को चौंका दिया। हालांकि, पाकिस्तान ने संघर्ष विराम के कुछ ही घंटों बाद इसका उल्लंघन कर दिया।


विशेषज्ञों की असहमति

राजनीति और सुरक्षा मामलों के विशेषज्ञ ब्रह्मा चेलानी ने इस संघर्ष विराम पर अपनी असहमति व्यक्त की। उन्होंने कहा कि भारत ने "जीत के मुंह से हार छीन ली।" उनका मानना है कि भारत ने अपनी सैन्य स्थिति का सही उपयोग नहीं किया और ऐतिहासिक गलतियाँ दोहराते हुए युद्ध की स्थिति से बचने के लिए अचानक संघर्ष विराम की घोषणा की।


भारत की सैन्य स्थिति

चेलानी ने कहा, "भारत की सैन्य स्थिति पाकिस्तान की तुलना में बहुत मजबूत थी। पाकिस्तान के हवाई रक्षा तंत्र में काफी कमजोरी थी, जिसे भारतीय ड्रोन और मिसाइल हमलों से स्पष्ट रूप से देखा जा सकता था। पाकिस्तान ने कई ड्रोन और मिसाइल भेजे, लेकिन उनका प्रभावी उपयोग नहीं हो सका। दूसरी ओर, भारत ने सीमित संख्या में ड्रोन और मिसाइल भेजे और अपने लक्ष्यों को सफलतापूर्वक निशाना बनाया।"


संघर्ष विराम का कारण

भारत का सैन्य दबाव था, फिर भी संघर्ष विराम क्यों?

चेलानी ने यह सवाल उठाया कि जब भारत के पास सैन्य रूप से स्पष्ट बढ़त थी, तो उसे संघर्ष विराम की ओर क्यों बढ़ना पड़ा। उन्होंने कहा, "यह भारत की पुरानी राजनीतिक प्रवृत्ति को दर्शाता है, जहाँ हम हमेशा जीत के बाद हार को अपनाते हैं।"


इतिहास से सबक

उन्होंने इस स्थिति को इतिहास से जोड़ते हुए कहा कि भारत ने हमेशा अपनी सैन्य या कूटनीतिक स्थिति को कमजोर किया है, बिना इससे कोई ठोस रणनीतिक लाभ प्राप्त किए। "1972 में हमने युद्ध में जीत के बाद पाकिस्तान से कुछ नहीं लिया और सिर्फ बातचीत के दौरान अपनी स्थिति कमजोर कर दी। 2021 में, हमने कैलाश की ऊँचाइयाँ छोड़ दीं, जो हमारी वार्ता का एकमात्र महत्वपूर्ण मुद्दा था, और फिर हम लद्दाख में चीनी-निर्मित बफर जोन के लिए सहमत हो गए। अब 'ऑपरेशन सिंदूर' का समापन हुआ है," चेलानी ने कहा।


ऑपरेशन सिंदूर का अंत

ऑपरेशन सिंदूर और उसकी समाप्ति

चेलानी ने 'ऑपरेशन सिंदूर' की समाप्ति पर भी सवाल उठाए, जो भारतीय महिलाओं द्वारा अपने मारे गए पतियों का बदला लेने का प्रतीक था। उन्होंने कहा, "ऑपरेशन सिंदूर की प्रतीकात्मक शक्ति थी, लेकिन पाकिस्तान ने दिल्ली पर मिसाइल भी दागी और फिर हम इस ऑपरेशन को अचानक समाप्त कर देते हैं, जिससे कई सवाल उठते हैं।"


संघर्ष विराम की प्रक्रिया

संघर्ष विराम की घोषणा

भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम की घोषणा एक अप्रत्याशित मोड़ था। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने पुष्टि की कि पाकिस्तान ने भारत से संपर्क किया और दोनों देशों के बीच सीधी बातचीत के बाद यह निर्णय लिया गया। पाकिस्तान के सैन्य संचालन महानिदेशक ने भारतीय सैन्य संचालन महानिदेशक से संपर्क किया, और शाम 5 बजे से दोनों पक्षों ने अपनी फायरिंग और सैन्य कार्रवाई को रोकने पर सहमति व्यक्त की।