16 दिसंबर से शुरू होगा खरमास, एक महीने तक नहीं होंगे मांगलिक कार्य
चतरा, 9 दिसंबर (हि.स.)। हिंदू धर्म में खरमास के महीने को शुभ कार्यों के लिए वर्जित माना गया है। ज्योतिषीय गणना के अनुसार, जब सूर्य देव धनु राशि या मीन राशि में प्रवेश करते हैं, तो उस काल को खरमास या मलमास कहा जाता है। इस दौरान कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है। साल 2025 में खरमास की शुरुआत 16 दिसंबर से होने वाली है, जिससे शादी-विवाह, गृह प्रव्श और मुंडन जैसे सभी शुभ कार्यों पर एक महीने के लिए रोक लग जाएगी।
पंचांग के अनुसार, सूर्य देव 16 दिसंबर 2025 को धनु राशि में प्रवेश करेंगे। सूर्य के धनु राशि में प्रवेश करते ही खरमास की शुरुआत हो जाएगी। यानी पूरे एक महीने तक मांगलिक कार्यों के लिए कोई शुभ मुहूर्त नहीं रहेगा। मकर संक्रांति के दिन सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करते ही खरमास समाप्त हो जाएगा और फिर से शुभ कार्य शुरू किए जा सकेंगे।
इस संबंध में आचार्य चेतन पांडे ने बताया कि पौष मास हिंदू पंचांग का दसवां महीना होता है। इसकी शुरुआत मार्गशीर्ष पूर्णिमा के अगले दिन से होती है। इस बार पौष महीने की शुरुआत 5 दिसंबर दिन शुक्रवार से हुआ है। इसे पूष का महीना भी कहा जाता है। धार्मिक दृष्टि इसे अत्यंत पवित्र माना जाता है। उन्होंने बताया कि इस दौरान पितरों की शांति के लिए दान और सेवा विशेष फलदायी माना जाता है। यह महीना विशेष रुप से सूर्य देव से जुड़ा हुआ है, इसलिए भगवान सूर्यदेव की आराधना के लिए इसे अत्यंत पवित्र माना गया है।
पौष माह में सूर्य उपासना करने से सौभाग्य और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। इस महीने में भागवत कथा, रामायण पाठ, आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ, महामृत्युंजय मंत्र का जप व अन्य वैदिक मंत्रों का जप-तप और सत्संग करने से पाप क्षय होता है। पौष माह में कई प्रमुख व्रत और पर्व मनाए जाते हैं। इसमें सफला एकादशी, संकष्टी चतुर्थी, मासिक शिवरात्रि, प्रदोष व्रत और पौष अमावस्या विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं। अमावस्या, संक्रांति, पूर्णिमा और एकादशी पर पितरों का श्राद्ध, तर्पण और दान करना शुभ माना गया है। इससे पितृ दोष दूर होता है और जीवन की परेशानियां कम होती हैं।
इस साल पौष माह 5 दिसंबर 2025 दिन शुक्रवार से शुरू हुआ है और इसकी समाप्ति 3 जनवरी 2026 शनिवार को होगी। पौष महीना इस बार पूरे 30 दिनों का होगा। हालांकि शुक्ल पक्ष में प्रतिपदा तिथि 2 दिन रहेगा, जबकि अष्टमी और नवमी तिथि एक ही दिन भोग करेगा। पौष महीने में यत्र-तत्र वर्षा होगी। इस महीने पांच शुक्रवार शुभ फलकारक हैं। धनु राशि की सूर्य संक्रांति मंगलवारी है। ऐसे में किराना की वस्तुओं में महंगाई बढ़ेगी। 28 दिसम्बर से लेकर 14 जनवरी के आसपास ओला, पत्थर, बेमौसम बारिश और कोहरा से जनजीवन प्रभावित होगा।
पौष माह में क्या करें?
तांबे के लोटे में शुद्ध जल, लाल चंदन और लाल फूल डालकर ऊं सूर्याय नमः मंत्र का जाप करते हुए सूर्यदेव को अर्घ्य दें। इससे रोगों का नाश होता है और मान-सम्मान बढ़ता है। इस मास में प्रतिदिन आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें। यह स्तोत्र जीवन के कष्टों को कम करने में अत्यंत प्रभावी माना गया है। पूरे पौष माह में श्रीहरि विष्णु की पूजा करें और मंदिर में दान-पुण्य करें। इससे भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी दोनों की कृपा प्राप्त होती है।
पौष माह में क्या करें क्या नहीं करें?
पौष आध्यात्मिक रुप से जप-तप का मास है। इसलिए इस अवधि में मांसाहार और शराब का सेवन पूर्ण रूप से त्याग देना चाहिए। इस अवधि में बैंगन, मसूर की दाल, कोहड़ा, मुली, जैसे भोजन का सेवन अशुभ माना जाता है। इनसे परहेज करना चाहिए। पौष मास में ताजे फल, सब्जियां, दूध, दही और शुद्ध सात्विक भोजन का सेवन करना उत्तम माना जाता है। तामसिक और भारी भोजन से दूरी रहें। इस अवधि में तप, जप और साधना करें। विवाह, गृह प्रवेश या अन्य मांगलिक कार्य इस महीने नहीं किए जाते हैं। यह अवधि आध्यात्मिक उन्नति के लिए विशेष शुभ माना जाता है।
वहीं 5 दिसंबर दिन शुक्रवार से पौष महीने का भले ही शुरुआत हो रही है, लेकिन खरमास 16 दिसंबर से शुरू होगा। खरमास धनु की संक्रांति में लगता है। यह एक महीने तक चलता है। इस बार धनु की संक्रांति 16 दिसंबर दिन मंगलवार को है। 2026 में 14 जनवरी दिन बुधवार की रात में भगवान सूर्य के धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करने के साथ ही खरमास समाप्त हो जाएगा। इसके बाद पूरे 1 महीने के बाद एक बार फिर से शादी विवाह और अन्य मांगलिक कार्यों के शुभ मुहूर्त शुरू होंगे।
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हिन्दुस्थान समाचार / जितेन्द्र तिवारी
