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अनूपपुर में 8 साल तक डिजिटल ठगी का मामला, एक आरोपी गिरफ्तार

मध्य प्रदेश के अनूपपुर में एक भाजपा नेता के बेटे आशीष ताम्रकार के खिलाफ 8 साल तक डिजिटल ठगी का मामला सामने आया है। आरोपियों ने सीबीआई अधिकारी और पुलिस बनकर आशीष को ठगा और 45 लाख रुपये की ठगी की। पुलिस ने एक आरोपी को गिरफ्तार किया है, जबकि अन्य की तलाश जारी है। जानें इस चौंकाने वाली घटना के बारे में विस्तार से।
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अनूपपुर में 8 साल तक डिजिटल ठगी का मामला, एक आरोपी गिरफ्तार

डिजिटल ठगी का चौंकाने वाला मामला

मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले के कोतमा में एक भाजपा नेता के बेटे और इलेक्ट्रॉनिक व्यवसायी, 53 वर्षीय आशीष ताम्रकार के खिलाफ 8 साल तक डिजिटल अरेस्ट रखने का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। आरोपियों ने सीबीआई अधिकारी, जज, हाईकोर्ट वकील और पुलिस अधिकारी बनकर आशीष को ठगा। इस दौरान पीड़ित से 45 लाख रुपये भी विभिन्न खातों में जमा कराए गए। जब इस मामले की शिकायत की गई, तो जांच शुरू हुई, जिसके बाद मामले का खुलासा हुआ। अनूपपुर पुलिस ने विदिशा जिले से एक आरोपी सौरभ शर्मा को गिरफ्तार किया है, जबकि दो अन्य आरोपी पहले ही मर चुके हैं। पुलिस ने आरोपी को कोर्ट में पेश कर 4 दिन की रिमांड पर लिया है.


पहली बार 2017 में 23 लाख रुपये की ठगी

थाना प्रभारी के अनुसार, कोतमा के भाजपा नेता अवधेश ताम्रकार के बेटे आशीष ताम्रकार की इलेक्ट्रॉनिक दुकान है। उन्होंने 2017 में 23 लाख रुपये कमाए थे। जब गैंग को इसकी जानकारी मिली, तो उन्होंने नीमच थाने का अधिकारी बनकर फोन किया और 23 लाख रुपये को हवाला की रकम बताकर अपने खाते में ट्रांसफर करवा लिए। इसके बाद ठगों ने अलग-अलग मोबाइल नंबरों का इस्तेमाल कर डिजिटल अरेस्ट का नाटक किया। आरोपियों ने कुल 45 लाख रुपये विभिन्न खातों में जमा कराए, जबकि बदमाश फर्जी पुलिस, जज और सीबीआई अधिकारी बनकर आशीष को डराते रहे।


अन्य आरोपियों की तलाश जारी

पुलिस ने मोबाइल नंबर के आधार पर विदिशा से आरोपी को गिरफ्तार किया है। उनके पास से लैपटॉप, मोबाइल और ठगी के दस्तावेज भी जब्त किए गए हैं। इस मामले में शामिल मुख्य सरगना महेंद्र शर्मा और उसके साथी की मौत हो चुकी है। पुलिस अन्य आरोपियों की तलाश कर रही है.


पुलिस का बयान

पुलिस अधीक्षक मोतिउरहान रहमान ने बताया कि आरोपियों ने युवक से साइबर ठगी के जरिए 8 साल में 45 लाख रुपये विभिन्न खातों में जमा कराए हैं। गैंग ने भोपाल में आरबी ट्रेडर्स, तिरुपति फिनटेक जैसी फर्जी कंपनियों का सहारा लेकर साइबर ठगी की। ये लोग अलग-अलग नंबरों और खातों का इस्तेमाल करते थे।