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एपेक सम्मेलन: अमेरिका और चीन के बीच व्यापार तनाव में कमी

दक्षिण कोरिया के ग्योंगजू में आयोजित एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (एपेक) सम्मेलन ने अमेरिका और चीन के बीच व्यापार तनाव को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सम्मेलन के दौरान दोनों देशों ने आपसी सहयोग बढ़ाने और व्यापार को बढ़ावा देने का संकल्प लिया। अगले एपेक सम्मेलन की मेज़बानी चीन करेगा, जो 2026 में शेन्झेन में आयोजित होगा। जानें इस सम्मेलन की प्रमुख बातें और वैश्विक अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव।
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एपेक सम्मेलन: अमेरिका और चीन के बीच व्यापार तनाव में कमी

चीन और अमेरिका के बीच व्यापार युद्ध का खतरा टला


Business News Hindi: इस वर्ष दक्षिण कोरिया के ग्योंगजू में आयोजित एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (एपेक) शिखर सम्मेलन ने महत्वपूर्ण मोड़ लिया। सम्मेलन के आरंभ से पहले, विश्व व्यापार युद्ध का खतरा मंडरा रहा था, जो चीन और अमेरिका के बीच बढ़ते तनाव से उत्पन्न हो रहा था।


हालांकि, सम्मेलन के दौरान दोनों देशों ने न केवल आपसी टकराव को टालने में सफलता पाई, बल्कि भविष्य में व्यापार को बढ़ावा देने और सहयोग बढ़ाने का भी संकल्प लिया। शनिवार को, एशिया और प्रशांत क्षेत्र के 21 देशों के नेताओं ने इस आर्थिक शिखर सम्मेलन का समापन किया, जिसमें क्षेत्रीय आर्थिक सहयोग पर जोर देने वाले बयान जारी किए गए।


अगला एपेक सम्मेलन चीन में आयोजित होगा


चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने शनिवार को घोषणा की कि अगला एपेक सम्मेलन 2026 में शेन्झेन में होगा। उन्होंने कहा कि एशिया और प्रशांत क्षेत्र के नेताओं का यह शिखर सम्मेलन नवंबर में आयोजित किया जाएगा। चीन पहले भी एपेक शिखर सम्मेलन की मेज़बानी कर चुका है। शी ने कहा कि चीन में निवेश करना भविष्य में निवेश करना है।


एपेक नेताओं ने साझा बयान जारी किया


ग्योंगजू में एपेक शिखर सम्मेलन के बाद, नेताओं ने एक साझा बयान में अमेरिका और चीन के बीच व्यापार तनाव से प्रभावित वैश्विक अर्थव्यवस्था की चुनौतियों का सामना करने के लिए सहयोग बढ़ाने का वादा किया। इससे पहले, दोनों देशों के नेताओं ने व्यापार तनाव को कम करने के लिए कदम उठाने पर सहमति जताई थी।


चीन और अमेरिका के विवाद में कमी


ट्रंप ने जिनपिंग से मुलाकात के दौरान चीन पर लगाए गए शुल्क में कटौती की बात की, जबकि बीजिंग ने अमेरिका से सोयाबीन खरीदने और दुर्लभ धातुओं के निर्यात की अनुमति देने पर सहमति जताई। यह सहमति वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए राहत की बात है। सम्मेलन से पहले, चीन ने अमेरिका को दुर्लभ खनिजों की सप्लाई रोक दी थी, जबकि अमेरिका ने चीन पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने की बात की थी।