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कर्नाटक में 4,000 साल पुरानी सभ्यता के अवशेषों की खोज

कर्नाटक के रायचूर जिले के मास्की कस्बे में हाल ही में हुई खुदाई में वैज्ञानिकों ने 4,000 साल पुरानी सभ्यता के अवशेषों का पता लगाया है। इस खोज में प्राचीन बर्तन, औजार और अन्य कलाकृतियां शामिल हैं, जो मानव जीवन के संकेत देती हैं। वैज्ञानिकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने इस ऐतिहासिक कार्य को अंजाम दिया है। जानें इस खोज के महत्व और इसके पीछे की कहानी।
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कर्नाटक में 4,000 साल पुरानी सभ्यता के अवशेषों की खोज

प्राचीन सभ्यता के अवशेषों की खोज

कर्नाटक के रायचूर जिले के मास्की कस्बे में हाल ही में हुई खुदाई में वैज्ञानिकों ने 4,000 साल पुरानी सभ्यता के अवशेषों का पता लगाया है। यह खोज वैज्ञानिकों के लिए एक आश्चर्य का विषय बन गई है। खुदाई के दौरान प्राचीन बर्तन, कड़ाही, औजार और अन्य रहस्यमयी कलाकृतियां मिली हैं, जो यह दर्शाती हैं कि यहां हजारों साल पहले मानव जीवन विद्यमान था।


खुदाई का स्थान और वैज्ञानिक टीम

यह खुदाई मल्लिकार्जुन पहाड़ी और अंजनेय स्वामी मंदिर के आसपास की गई, जिसमें अमेरिका, कनाडा और भारत के वैज्ञानिक शामिल थे। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर एंड्रयू एम बोवर, कनाडा की मैकगिल यूनिवर्सिटी के पीटर जी जोहानसन और नोएडा विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हेमंत कदंबी ने लगभग 20 विशेषज्ञों की टीम के साथ मिलकर यह महत्वपूर्ण कार्य किया। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) से अनुमति मिलने के बाद इस क्षेत्र में खुदाई का कार्य आरंभ हुआ था।


11वीं से 14वीं शताब्दी की वस्तुएं

खुदाई में प्राप्त वस्तुएं 11वीं से 14वीं शताब्दी ईसा पूर्व की मानी जा रही हैं। इनमें रसोई के बर्तन, कड़ाही और औजार शामिल हैं, जो प्राचीन मानव जीवन और उनकी संस्कृति की झलक प्रस्तुत करते हैं। इससे पहले, 1915 में इसी क्षेत्र में एक गुफा में शिलालेख मिला था, जिसमें मौर्य सम्राट अशोक की उपाधि “देवानामप्रिय” का उल्लेख था। यह शिलालेख मौर्य काल के प्रारंभिक प्रमाणों में से एक माना जाता है।


वैज्ञानिक दृष्टिकोण

इस नई खोज ने मास्की को फिर से पुरातात्विक मानचित्र पर महत्वपूर्ण स्थान दिला दिया है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यहां और गहन खुदाई से मानव इतिहास के और भी रहस्यों का खुलासा हो सकता है। यह खोज भारत के प्राचीन इतिहास और सभ्यता की समझ को और भी समृद्ध बनाती है।