कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने लॉन्च की नई योजना: जानें इसके लाभ और उद्देश्य
नई पहल का उद्घाटन
नई दिल्ली: कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने अपने 73वें स्थापना दिवस पर केंद्र सरकार द्वारा एक नई योजना की शुरुआत की है। केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने शनिवार को कर्मचारी नामांकन योजना 2025 (Employee Enrollment Scheme 2025) का उद्घाटन किया। इस योजना का मुख्य उद्देश्य उन कर्मचारियों को पीएफ (Provident Fund) प्रणाली में शामिल करना है, जो किसी कारणवश इससे बाहर रह गए हैं।
योजना का उद्देश्य
डॉ. मांडविया ने इस अवसर पर कहा कि ईपीएफओ ने भारत में सामाजिक सुरक्षा को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने बताया कि ईपीएफओ केवल एक फंड नहीं है, बल्कि यह करोड़ों कर्मचारियों और श्रमिकों के विश्वास का प्रतीक है। इस योजना का लक्ष्य न केवल कर्मचारियों को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना है, बल्कि नियोक्ताओं को भी प्रोत्साहित करना है कि वे योग्य कर्मचारियों को स्वेच्छा से पीएफ प्रणाली में शामिल करें।
योजना की शुरुआत और लाभार्थी
कर्मचारी नामांकन योजना 2025 को केंद्र सरकार ने 1 नवंबर 2025 से लागू करने का निर्णय लिया है। यह योजना पूरी तरह से स्वैच्छिक होगी, जिसका मतलब है कि कंपनियों को अपने कर्मचारियों का नामांकन स्वयं करना होगा। इस योजना का लाभ उन कर्मचारियों को मिलेगा जो 1 जुलाई 2017 से 31 अक्टूबर 2025 के बीच किसी संस्था से जुड़े थे, लेकिन किसी कारणवश पीएफ खाते में शामिल नहीं हो पाए।
यह योजना उन कंपनियों पर भी लागू होगी जिन पर ईपीएफ अधिनियम की धारा 7A, स्कीम की धारा 26B या पेंशन स्कीम की धारा 8 के तहत जांच चल रही है। हालांकि, जो कर्मचारी पहले ही कंपनी छोड़ चुके हैं, उनके मामलों में कोई स्वतः कार्रवाई नहीं की जाएगी।
जुर्माने और योगदान से जुड़ी शर्तें
इस योजना में सरकार ने कंपनियों को महत्वपूर्ण राहत प्रदान की है। यदि किसी कर्मचारी की सैलरी से पहले पीएफ नहीं काटा गया था, तो उस पर कोई दंड नहीं लगेगा। कंपनियों को केवल अपने हिस्से का योगदान जमा करना होगा और इसके साथ सिर्फ 100 रुपये का नाममात्र जुर्माना देना होगा। कर्मचारियों पर पुराने बकाए या ब्याज का बोझ नहीं डाला जाएगा, जिससे लाखों कर्मचारियों को औपचारिक श्रम प्रणाली का हिस्सा बनने में मदद मिलेगी।
केंद्रीय मंत्री का संदेश
डॉ. मांडविया ने कहा कि ईपीएफओ को सेवा वितरण में निष्पक्षता, गति और संवेदनशीलता सुनिश्चित करनी चाहिए ताकि नागरिकों का भरोसा और मजबूत हो सके। उन्होंने यह भी कहा कि भारत को "विकसित भारत 2047" की दिशा में ले जाने के लिए सामाजिक सुरक्षा में वैश्विक मानक स्थापित करना आवश्यक है। उन्होंने एक्स (X) पर लिखा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ईपीएफओ ने देश में सामाजिक सुरक्षा का दायरा व्यापक किया है। सदस्य संतुष्टि ही ईपीएफओ की सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।"
ईपीएफओ: एक जन-केंद्रित संस्था
कार्यक्रम में श्रम एवं रोजगार सचिव वंदना गुरनानी ने ईपीएफओ के विकास की सराहना करते हुए कहा कि यह संस्था अब केवल अनुपालन तक सीमित नहीं, बल्कि नागरिक-केंद्रित हो चुकी है। उन्होंने कहा कि हर फाइल के पीछे एक समर्पित कर्मचारी, एक परिवार और एक सपना छिपा होता है। सामाजिक सुरक्षा केवल प्रणाली नहीं, बल्कि यह लोगों की गरिमा और विश्वास से जुड़ी हुई है।
