चीन ने ब्रह्मपुत्र नदी पर विशाल बांध परियोजना की शुरुआत की
चीन ने भारत की सीमा के निकट तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर 167.8 अरब डॉलर की लागत से एक विशाल बांध बनाने का कार्य आरंभ किया है। इस परियोजना में पांच बड़े हाइड्रोइलेक्ट्रिक स्टेशन शामिल होंगे, जो हर साल 300 अरब किलोवाट-घंटे से अधिक बिजली उत्पन्न करेंगे। भारत और बांग्लादेश इस बांध के निर्माण को लेकर चिंतित हैं, क्योंकि यह उनके जल संसाधनों और कृषि पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। इसके अलावा, भूकंप के खतरे और चीन के संभावित रणनीतिक लाभ को लेकर भी चिंता जताई जा रही है।
Jul 20, 2025, 11:55 IST
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चीन का नया बांध निर्माण
चीन ने भारत की सीमा के निकट तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर 167.8 अरब डॉलर की लागत से एक विशाल बांध बनाने का कार्य आरंभ कर दिया है। यह परियोजना विश्व की सबसे बड़ी अवसंरचना पहलों में से एक मानी जा रही है। चीनी प्रधानमंत्री ली कियांग ने न्यिंगची शहर में भूमि पूजन करके इस परियोजना की शुरुआत की। यह बांध उस स्थान पर बन रहा है, जहां ब्रह्मपुत्र नदी, जिसे तिब्बत में यारलुंग ज़ंगबो कहा जाता है, अरुणाचल प्रदेश और फिर बांग्लादेश की ओर बहने से पहले एक तीखा मोड़ लेती है.
परियोजना की विशेषताएँ
इस परियोजना की मुख्य बातें
चीन की सरकारी मीडिया के अनुसार, इस बांध में पांच बड़े हाइड्रोइलेक्ट्रिक स्टेशन स्थापित किए जाएंगे। इस पर कुल मिलाकर लगभग 1.2 ट्रिलियन युआन (लगभग 167.8 अरब डॉलर) का खर्च आएगा। परियोजना के पूरा होने पर यह हर साल 300 अरब किलोवाट-घंटे से अधिक बिजली उत्पन्न करेगा, जो 30 करोड़ से अधिक लोगों को रोशन करने के लिए पर्याप्त होगी। इस प्रकार, यह दुनिया का सबसे बड़ा बांध बन जाएगा, जो चीन के थ्री गॉर्जेस डैम को भी पीछे छोड़ देगा। यह बांध हिमालय की एक विशाल घाटी में स्थित होगा.
भारत और बांग्लादेश की चिंताएँ
भारत और बांग्लादेश के लिए चिंता का विषय
इस बांध के स्थान और इसके विशाल आकार को लेकर भारत और बांग्लादेश में चिंताएँ बढ़ गई हैं। दोनों देश ब्रह्मपुत्र नदी पर अपनी कृषि, पीने के पानी और पर्यावरण के लिए अत्यधिक निर्भर हैं.
पानी के बहाव में रुकावट: सबसे बड़ी चिंता यह है कि चीन इस बांध के माध्यम से नदी के पानी के प्रवाह को नियंत्रित कर सकता है, जिससे भारत और बांग्लादेश में जल संकट उत्पन्न हो सकता है.
पोषक तत्वों वाली गाद का रुकना: नदी अपने साथ उपजाऊ मिट्टी और पोषक तत्व लाती है, जो कृषि के लिए आवश्यक हैं। बांध के निर्माण से यह गाद रुक सकती है, जिससे कृषि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.
पारिस्थितिक नुकसान: बांध से नदी के प्राकृतिक प्रवाह और पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुँचने की आशंका है.
रणनीतिक लाभ: भारत को यह भी चिंता है कि चीन युद्ध जैसी स्थिति में इस बांध का उपयोग पानी छोड़कर सीमावर्ती क्षेत्रों में बाढ़ लाने के लिए कर सकता है.
यह ध्यान देने योग्य है कि भारत भी अरुणाचल प्रदेश में ब्रह्मपुत्र पर एक बांध का निर्माण कर रहा है.
बातचीत और भूकंप का खतरा
क्या बातचीत हो रही है?
भारत और चीन ने सीमा पार नदियों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत के लिए 2006 में एक्सपर्ट लेवल मैकेनिज्म (ईएलएम) स्थापित किया है। इसके तहत, चीन बाढ़ के मौसम में भारत को ब्रह्मपुत्र और सतलुज नदी से संबंधित हाइड्रोलॉजिकल जानकारी प्रदान करता है. पिछले साल 18 दिसंबर को, भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच सीमा मुद्दों पर बातचीत में सीमा पार नदियों के आंकड़ों के आदान-प्रदान पर चर्चा हुई थी.
भूकंप का खतरा और चीन का जवाब:
यह बांध एक ऐसे क्षेत्र में बन रहा है जहां भूकंप का खतरा अधिक है, क्योंकि यह टेक्टोनिक प्लेटों की सीमा पर स्थित है। तिब्बती पठार को "दुनिया की छत" भी कहा जाता है और यहां अक्सर भूकंप आते रहते हैं। हालांकि, चीन ने पिछले साल दिसंबर में एक आधिकारिक बयान में इन चिंताओं को दूर करने का प्रयास किया था। उन्होंने कहा था कि यह बांध परियोजना सुरक्षित है और पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता देती है. चीन ने यह भी बताया कि व्यापक भूवैज्ञानिक जांच और नई तकनीक की मदद से इस परियोजना को सुरक्षित और उच्च गुणवत्ता वाला बनाने का आधार तैयार किया गया है. उन्होंने यह भी कहा कि ब्रह्मपुत्र तिब्बती पठार से होकर बहती है और पृथ्वी पर सबसे गहरी घाटी बनाती है. यह बांध सबसे अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में से एक में बनाया जाएगा.