दिल्ली कोर्ट का अनोखा फैसला: जमानत के साथ कविता में बयां किया पारिवारिक विवाद

दिल्ली की अदालत का अनोखा फैसला
दिल्ली की एक अदालत ने एक व्यक्ति को अपनी मां की संपत्ति पर अवैध कब्जा करने के आरोप में जमानत देते हुए अपने निर्णय को कविता के रूप में प्रस्तुत किया। रोहिणी कोर्ट के प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट रोहित कुमार ने शुक्रवार को नितिन सोनी को जमानत दी, जिन पर आरोप है कि उन्होंने और उनकी पत्नी ने ताला तोड़कर और रॉड से हमला करके उनकी मां की संपत्ति पर कब्जा कर लिया।
जज का काव्यात्मक आदेश
न्यायाधीश रोहित कुमार ने अपने आदेश को 'जंग मिलकियत' शीर्षक दिया और कहा:
मिलकियत की जंग में ना जाने कितने अफसाने हुए
कुछ ही अपने थे, वो भी अब बेगाने हुए.
बनके कृष्णा, अब किसी को आना होगा,
लड़ते-लड़ते, बिगड़ते रिश्तों को बचाना होगा.
मामले का विवरण
12 जुलाई को गिरफ्तार किए गए नितिन सोनी पर आरोप है कि उन्होंने अपनी मां की संपत्ति पर अवैध कब्जा किया। शिकायतकर्ता उनकी मां हैं, जिनके पक्ष में पहले ही अदालत ने कब्जे को लेकर निर्देश जारी किए थे। दिल्ली पुलिस के अनुसार, सोनी के खिलाफ कई शिकायतें और गैर-संज्ञेय रिपोर्ट दर्ज हैं।
सोनी के वकील की दलील
सोनी के वकील ने अदालत में कहा कि यह मामला अवैध कब्जे का नहीं है। उन्होंने दावा किया कि उनकी मां ने मौखिक समझौते के तहत संपत्ति सौंप दी थी। वकील ने कुछ फोटोग्राफिक साक्ष्य भी पेश किए, जिनमें सोनी और उनका परिवार 10 जुलाई से पहले संपत्ति पर मौजूद थे।
सबूत की कमी
अभियोजन पक्ष ने कहा कि संपत्ति के हस्तांतरण के बाद सोनी ने उस पर जबरन कब्जा कर लिया। हालांकि, जब न्यायाधीश ने जांच अधिकारी से सवाल किया, तो कोई सीसीटीवी फुटेज या वीडियो साक्ष्य उपलब्ध नहीं था, जिससे यह साबित हो सके कि सोनी ने 10 जुलाई को या उससे पहले जबरन प्रवेश किया।
जमानत पर न्यायालय की टिप्पणी
न्यायाधीश रोहित कुमार ने सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए कहा कि यह मामला गंभीर पारिवारिक विवाद का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि न्याय के साथ-साथ भावनाओं को भी समझना आवश्यक है। उन्होंने लिखा:
बनकर बेटी, रिश्तों को बचाना होगा
सभी रिश्तों को निभाना होगा.
क्या रखा है इस जंग में कोई बताएगा?
आख़िर इस धरती से कौन क्या ही ले जाएगा?