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दिल्ली धमाके की साजिश: दो सालों से विस्फोटक जमा कर रहा था आतंकी नेटवर्क

दिल्ली में हाल ही में हुए कार धमाके ने सुरक्षा एजेंसियों को एक बड़े आतंकी नेटवर्क की ओर इशारा किया है। जांच में पता चला है कि आतंकियों ने पिछले दो सालों से विस्फोटक जमा किए थे और कई बड़े शहरों में सीरियल धमाकों की योजना बनाई थी। इस साजिश का केंद्र अल-फलाह यूनिवर्सिटी रही है, जहां से कई डॉक्टरों का नाम सामने आया है। जानें इस मामले में और क्या खुलासे हुए हैं और आतंकियों के टारगेट कौन थे।
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दिल्ली धमाके की साजिश: दो सालों से विस्फोटक जमा कर रहा था आतंकी नेटवर्क

दिल्ली में कार धमाके का नया खुलासा


दिल्ली/फरीदाबाद: लाल किला मेट्रो स्टेशन के निकट सोमवार को हुए कार धमाके में मृतकों की संख्या बढ़कर 12 हो गई है। इस मामले में कई आतंकियों को गिरफ्तार किया गया है। सूत्रों के अनुसार, यह धमाका एक बड़ी साजिश का हिस्सा था। गिरफ्तार किए गए 8 आतंकियों से प्रारंभिक पूछताछ में पता चला है कि वे कई बड़े शहरों में सीरियल धमाकों की योजना बना रहे थे।


आतंकी समूह पिछले कुछ महीनों से मुंबई के 26/11 जैसे बड़े हमलों की योजना बना रहा था। यह साजिश जनवरी 2025 से चल रही थी। जम्मू-कश्मीर के कुछ युवा डॉक्टरों ने फरीदाबाद में एक ठिकाना बनाया था, ताकि उनकी गतिविधियों पर किसी को शक न हो।


धौज और फतेहपुर तागा में ऐसे कमरे खोजे गए थे, जहां विस्फोटक छिपाए जा सकें। ये क्षेत्र मुस्लिम बहुल हैं, जिससे जांच एजेंसियों को यहां पर संदेह कम था।


साजिश का केंद्र अल-फलाह यूनिवर्सिटी


आतंकियों ने दिल्ली-एनसीआर में मूवमेंट के लिए जानबूझकर गुरुग्राम नंबर की एक आई-20 कार खरीदी। इस कार का इस्तेमाल विस्फोटक लाने के लिए किया गया। पूरी साजिश का केंद्र धौज में अल-फलाह यूनिवर्सिटी थी, जो शिक्षा का केंद्र है।


आतंकियों के टारगेट


पुलिस के अनुसार, आतंकियों ने 200 से अधिक शक्तिशाली आईईडी बनाने की योजना बनाई थी, जो दिल्ली, गुरुग्राम और फरीदाबाद के प्रमुख स्थलों पर एक साथ इस्तेमाल होने थे। इनमें लाल किला, इंडिया गेट, प्रमुख रेलवे स्टेशन और धार्मिक स्थल शामिल थे।


शाहीन का खुलासा


फरीदाबाद के आतंकी मॉड्यूल में शामिल डॉ. शाहीन शाहिद ने स्वीकार किया है कि वह पिछले दो सालों से विस्फोटक जमा कर रहा था। धमाके के दिन, आई-20 कार ने कई इलाकों से गुजरते हुए लाल किला पहुंची।


उमर की जल्दबाजी


सूत्रों के अनुसार, दिल्ली-एनसीआर में छापेमारी के कारण उमर दबाव में आ गया था। इसी कारण उसने अधूरा आईईडी तैयार किया, जिससे धमाका हुआ।


अल-फलाह यूनिवर्सिटी पर जांच


बम धमाके के बाद, जांच एजेंसियों ने अल-फलाह यूनिवर्सिटी पर ध्यान केंद्रित किया। यहां के तीन डॉक्टरों के नाम आतंकवादी मॉड्यूल में सामने आए हैं।


मौलवी इरफान अहमद का कनेक्शन


सूत्रों के अनुसार, फरीदाबाद मॉड्यूल में शामिल सभी डॉक्टरों को मौलवी इरफान अहमद ने कट्टरपंथी बनाया था।


अल-फलाह यूनिवर्सिटी की स्थापना


दिल्ली धमाके की साजिश: दो सालों से विस्फोटक जमा कर रहा था आतंकी नेटवर्क


अल-फलाह यूनिवर्सिटी की स्थापना 1997 में हुई थी और इसे 2013 में नैक ग्रेड मिला।