दिल्ली में कृत्रिम बारिश का ड्रामा: सर्दियों में क्या संभव है?
दिल्ली में प्रदूषण और कृत्रिम बारिश का मुद्दा
दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद से यह चर्चा चल रही है कि जब प्रदूषण बढ़ेगा, तब कृत्रिम बारिश का सहारा लिया जाएगा। जनवरी में भाजपा ने सत्ता संभाली और बारिश के मौसम में कृत्रिम बारिश कराने का निर्णय लिया। लेकिन जब इसका विरोध हुआ, तो सरकार ने अपने इरादे में बदलाव किया। दिवाली के आसपास जब दिल्ली की हवा की गुणवत्ता गिरने लगी, तब एक बार फिर कृत्रिम बारिश का मुद्दा उठाया गया। हालाँकि, अब यह स्पष्ट हो रहा है कि सर्दियों में कृत्रिम बारिश कराना संभव नहीं है, खासकर जब हवा में नमी कम होती है। इसका अर्थ है कि कृत्रिम बारिश केवल तब संभव है जब प्राकृतिक बारिश हो रही हो।
पिछले सप्ताह में तीन बार ट्रायल किए गए, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि यह केवल दिखावा था। हवा में 75 प्रतिशत नमी होना आवश्यक है, जो केवल मानसून के दौरान, यानी जुलाई और अगस्त में ही संभव है। नवंबर या दिसंबर में इतनी नमी नहीं होती। इसका मतलब यह है कि सर्दियों में, विशेषकर दिवाली के बाद, जब प्रदूषण बढ़ता है और पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने की घटनाएं बढ़ती हैं, तब दिल्ली में कृत्रिम बारिश नहीं कराई जा सकती। इसलिए, दिल्ली सरकार को अन्य उपायों पर विचार करना होगा, लेकिन ऐसा लगता है कि सरकार इसके लिए तैयार नहीं है। इसी कारण हवा की गुणवत्ता के आंकड़ों को छिपाने का प्रयास किया जा रहा है। हाल ही में पर्यावरण मंत्री ने दावा किया कि पिछले साल की तुलना में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) बेहतर है।
