देहरादून में बादल फटने से मछली पालन केंद्र को भारी नुकसान

देहरादून में प्राकृतिक आपदा
Dehradun Cloudburst: भारत के विभिन्न राज्यों में इस समय प्राकृतिक आपदाओं का सामना किया जा रहा है। पंजाब, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में बाढ़ ने तबाही मचाई है। देहरादून में भी एक गंभीर घटना हुई, जहां बादल फटने के कारण नदियों और नालों का जलस्तर बढ़ गया। पच्छादन क्षेत्र में भी बारिश के कारण नाले उफान पर आ गए, जिससे नदियों का जलस्तर बढ़ गया। इसी दौरान, खुशहालपुर में आसन नदी के किनारे स्थित मछली पालन केंद्र भी नदी के उग्र रूप से प्रभावित हुआ।
आर्थिक संकट का सामना
इस प्राकृतिक आपदा ने स्थानीय मछली पालकों के लिए गंभीर आर्थिक संकट उत्पन्न कर दिया है। आसपास के क्षेत्रों में जल स्तर बढ़ने से स्थिति और भी बिगड़ गई है। इस आपदा के कारण एक पुल बह गया, जिससे कई होटल, रिसॉर्ट और दुकानें प्रभावित हुईं। 100 से अधिक लोगों को सुरक्षित निकाला गया, जबकि पांच लोग लापता हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने स्थिति का जायजा लेने के लिए प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया।
मछली पकड़ने की होड़
मछली पकड़ने की होड़: जैसे ही मछली पालन केंद्र से मछलियों के बहने की खबर फैली, गांव के लोग नदी किनारे इकट्ठा हो गए। बच्चे, युवा और बुजुर्ग सभी मछलियां पकड़ने के लिए नदी में उतर गए। कुछ लोग जाल लेकर आए, जबकि अन्य ने हाथों से मछलियां पकड़ने की कोशिश की। यह दृश्य गांव में एक अनोखा उत्साह लेकर आया, लेकिन मछली पालकों के लिए यह नुकसान का कारण बना। स्थानीय निवासियों का कहना है कि ऐसी घटना इस क्षेत्र में पहली बार देखी गई।
देहरादून के खुशहाल पुर गाँव में बरसाती नालों के जल सैलाब ने मछली पालन केंद्र को अपनी चपेट में ले लिया। आलम यह हो गया कि जिस-जिस को यह जानकारी मिली वह नदी में मछली पकड़ने उतर गया। pic.twitter.com/4h7rUNXNKK
— bhUpi Panwar (@askbhupi) September 17, 2025
मछली पालकों को हुआ नुकसान
मछली पालकों का नुकसान: मछली पालन केंद्र के मालिकों का कहना है कि इस सैलाब ने उनकी महीनों की मेहनत को बर्बाद कर दिया। केंद्र में पाली गई मछलियां, जो बाजार में बिक्री के लिए तैयार थीं, अब नदी में बह चुकी हैं। इस घटना ने न केवल उनकी आजीविका को प्रभावित किया, बल्कि भविष्य की योजनाओं पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
स्थानीय प्रशासन ने प्रभावित मछली पालकों को सहायता का आश्वासन दिया है। गांववासियों का कहना है कि ऐसी घटनाओं से बचने के लिए नालों की उचित सफाई और मजबूत बांधों का निर्माण आवश्यक है। इस घटना ने एक बार फिर प्राकृतिक आपदाओं से निपटने की तैयारियों पर सवाल उठाए हैं।