पंजाब में पराली जलाने के मामले बढ़े, किसान नहीं मान रहे चेतावनियों को
पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में वृद्धि
पंजाब में पराली जलाने के मामलों में तेजी : धान की कटाई के साथ-साथ पंजाब में खेतों में पराली जलाने की घटनाएं भी तेजी से बढ़ रही हैं। किसान न तो सरकार की सलाह मान रहे हैं और न ही उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन कर रहे हैं। इस वर्ष अब तक 2084 मामले सामने आ चुके हैं, जहां किसानों ने अपने खेतों में धान के अवशेषों को आग लगाई है। जिला स्तर पर टीमें किसानों के खिलाफ कार्रवाई कर रही हैं, लेकिन इसके बावजूद किसान आग लगाने से नहीं चूक रहे हैं।
शनिवार को दर्ज हुए मामले
पंजाब में शनिवार को पराली जलाने के 442 नए मामले दर्ज किए गए, जिससे कुल मामलों की संख्या 2084 हो गई है। सबसे अधिक मामले तरनतारन जिले में 423 और मुख्यमंत्री भगवंत मान के जिले संगरूर में 389 दर्ज किए गए हैं। अमृतसर जिले में 212 मामले सामने आए हैं। पराली जलाने की घटनाओं से प्रदूषण में वृद्धि हो रही है।
हवा की गुणवत्ता पर असर
पराली जलाने से उत्पन्न धुएं के कारण लोगों को सांस लेने में कठिनाई हो रही है और स्मॉग के कारण दृश्यता भी कम हो रही है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के अनुसार, खन्ना का एक्यूआई 243, पटियाला का 209 और मंडी गोबिंदगढ़ का 205 दर्ज किया गया है, जो खराब श्रेणी में आता है।
प्रशासन की कार्रवाई
अब तक प्रशासन ने जालंधर में 184, बठिंडा में 166, लुधियाना में 176 और रूपनगर में 140 मामलों में कार्रवाई की है। 31 अक्टूबर तक 659 मामलों में 34 लाख 5 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है, जिसमें से 18 लाख रुपये की वसूली की जा चुकी है। इसके अलावा 467 मामलों में एफआईआर दर्ज की गई है और 555 रेड एंट्रियां की गई हैं।
