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पूर्व CJI एन.वी. रमना का गंभीर आरोप: परिवार के खिलाफ झूठे मामले दर्ज किए गए

पूर्व प्रधान न्यायाधीश एन.वी. रमना ने हाल ही में एक गंभीर आरोप लगाया है कि उनके परिवार के खिलाफ झूठे आपराधिक मामले दर्ज किए गए थे। उन्होंने यह बयान वीआईटी-एपी यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में दिया, जहां उन्होंने बताया कि यह सब उन्हें दबाव में लाने के लिए किया गया। रमना ने किसानों के आंदोलन और न्यायपालिका की स्थिरता पर भी चर्चा की। उनका यह बयान आंध्र प्रदेश की पूर्व वाईएसआर कांग्रेस सरकार से जुड़ा हुआ माना जा रहा है। जानें इस मामले की पूरी जानकारी।
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पूर्व CJI एन.वी. रमना का गंभीर आरोप: परिवार के खिलाफ झूठे मामले दर्ज किए गए

एन.वी. रमना का खुलासा

अमरावती- भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश एन.वी. रमना ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण बयान दिया है, जिसमें उन्होंने कहा कि उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ झूठे आपराधिक मामले दर्ज किए गए थे ताकि उन्हें दबाव में लाया जा सके। हालांकि उन्होंने किसी विशेष राजनीतिक दल का नाम नहीं लिया, लेकिन उनके बयान को राज्य की पूर्व वाईएसआर कांग्रेस सरकार से जोड़ा जा रहा है।


संवैधानिक मूल्यों की रक्षा में उत्पीड़न

“संवैधानिक मूल्यों की रक्षा करने वालों को झेलना पड़ा उत्पीड़न”
जस्टिस रमना ने वीआईटी-एपी यूनिवर्सिटी के पांचवें दीक्षांत समारोह में कहा, “आप सभी जानते हैं कि मेरे परिवार को कैसे निशाना बनाया गया। उनके खिलाफ झूठे मामले दर्ज किए गए — सिर्फ मुझे मजबूर करने के लिए। मैं अकेला नहीं था। उस समय किसानों के मुद्दों से सहानुभूति रखने वाले सभी लोगों को डराया-धमकाया गया।” उन्होंने यह भी कहा कि जो न्यायाधीश संवैधानिक सिद्धांतों की रक्षा करते रहे, उन्हें भी राजनीतिक दबाव और उत्पीड़न का सामना करना पड़ा। कई परिवार, जिनका किसी मामले से कोई संबंध नहीं था, वे भी राजनीतिक प्रतिशोध का शिकार बने।


किसान आंदोलन और तीन राजधानियों का मुद्दा

किसान आंदोलन का उल्लेख
जस्टिस रमना ने अपने भाषण में उस किसान आंदोलन का भी जिक्र किया, जो तत्कालीन मुख्यमंत्री वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी सरकार के “तीन राजधानियों” के प्रस्ताव के खिलाफ हुआ था। इस योजना के तहत विशाखापत्तनम को प्रशासनिक, अमरावती को विधायी और कुरनूल को न्यायिक राजधानी बनाने का प्रस्ताव था। इस निर्णय के खिलाफ अमरावती के किसानों ने लंबा आंदोलन किया, जिसमें कई वकीलों और न्यायविदों ने समर्थन दिया।


न्यायपालिका की स्थिरता

“सरकारें बदलती हैं, अदालतें स्थिर रहती हैं”
पूर्व प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि जब कई राजनीतिक दल चुप रहे या रुख अपनाने से बचते रहे, “देश के न्यायविद, वकील और अदालतें अपने संवैधानिक कर्तव्य पर अडिग रहीं। सरकारें बदल सकती हैं, लेकिन अदालतें और कानून का शासन ही स्थिरता का आधार हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि कानून का शासन तभी कायम रह सकता है, जब लोग अपनी सुविधा के लिए ईमानदारी से समझौता न करें।


अमरावती परियोजना का पुनरारंभ

अमरावती के किसानों की सराहना
जस्टिस रमना ने अमरावती से अपने जुड़ाव को याद करते हुए कहा, “मैं अमरावती के किसानों के साहस को सलाम करता हूं, जिन्होंने सरकारी दबाव का डटकर सामना किया। उन्होंने लोकतंत्र और न्यायपालिका पर जो भरोसा दिखाया, वह प्रेरणादायक है।” उल्लेखनीय है कि आंध्र प्रदेश में मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व में सत्ता में लौटने के बाद अमरावती राजधानी परियोजना को पुनः शुरू किया गया है, और अब इसका कार्य तेजी से आगे बढ़ रहा है।