बिहार की राजनीति में महिला मतदाताओं का बढ़ता प्रभाव: क्या RJD की हार का कारण है?
महिला मतदाताओं की भूमिका: बिहार की राजनीति में बदलाव
बिहार की राजनीतिक परिदृश्य में इस बार महिला मतदाताओं की भूमिका पर काफी चर्चा हुई है। इस चुनाव में महिलाओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अब महिलाओं का वोट सरकार बदलने की क्षमता रखता है। यह सवाल उठता है कि क्या RJD की हार का कारण महिलाओं का BJP-JD(U) गठबंधन की ओर झुकाव था? क्या वास्तव में 'जंगलराज' की पुरानी यादें आज भी महिला मतदाताओं को प्रभावित करती हैं? आइए इस विषय की गहराई में जाते हैं।
महिलाओं का मतदान: ऐतिहासिक बदलाव
पिछले दो दशकों में महिलाओं की मतदान दर हमेशा पुरुषों से अधिक रही है। नीतीश कुमार ने महिलाओं के लिए कई योजनाएं जैसे साइकिल योजना, छात्रवृत्ति और शराबबंदी लागू की, जिससे महिलाओं में एक नया विश्वास पैदा हुआ। अब महिलाएं केवल जाति या परिवार के दबाव में वोट नहीं डालतीं, बल्कि अपने अनुभव और सुरक्षा को ध्यान में रखकर निर्णय लेती हैं। यह बदलाव इस बार भी स्पष्ट रूप से देखा गया।
महिलाओं पर 'जंगलराज' की छाप
1990 के दशक में बिहार में कानून-व्यवस्था की स्थिति बेहद खराब थी। उस समय अपहरण, लूट और सड़क हिंसा आम थी। महिलाएं शाम के बाद घर से बाहर निकलने में डरती थीं। यह डर केवल राजनीतिक नहीं था, बल्कि कई परिवारों की रोजमर्रा की चिंता बन गया था। इसलिए आज भी महिलाएं मानती हैं कि राजनीतिक बदलाव उनकी सुरक्षा को प्रभावित करता है।
महिलाओं की प्राथमिकता: सुरक्षा
महिला मतदाताओं ने इस चुनाव में स्पष्ट रूप से कहा कि उन्हें 'सुरक्षा चाहिए', 'सड़क पर सुरक्षित महसूस करना चाहिए' और 'स्कूल-कॉलेज जाने में डर नहीं होना चाहिए'। ये बातें उनके वोटिंग के निर्णय को प्रभावित करती हैं। भले ही बिहार की स्थिति अब पहले जैसी नहीं है, लेकिन डर की यादें आज भी बनी हुई हैं। 40-50 साल की महिलाएं आज भी 1990 के दशक की घटनाओं को याद करके वोट डालती हैं। BJP-JD(U) का समर्थन इस कारण भी बढ़ा क्योंकि उन्होंने शराबबंदी और महिला योजनाओं को सुरक्षा से जोड़ा।
RJD के प्रति नकारात्मक धारणा
कई समाजशास्त्रियों का कहना है कि महिलाओं में 'RJD = खतरा' की एक सामूहिक याद बनी हुई है। भले ही वर्तमान स्थिति अलग हो, लेकिन पिछले अनुभवों का असर अभी भी महसूस होता है। इसलिए कई महिलाएं RJD को सत्ता में आने देने से हिचकिचाती हैं। यह बात विपक्ष को भी पता है, और इस चुनाव में इस मुद्दे ने RJD की छवि को नुकसान पहुंचाया। BJP और JD(U) ने इस दर्द को भुनाया और 'सुरक्षा' को बड़ा चुनावी मुद्दा बनाया।
महिलाओं की स्थिरता की चाह
विशेषज्ञों का मानना है कि महिलाएं 'स्थिरता' को पुरुषों की तुलना में अधिक महत्व देती हैं। स्थिरता का मतलब उनके लिए है: घर का माहौल शांत हो, बच्चों की पढ़ाई बिना रुकावट चले, आवागमन सुरक्षित रहे, और पति शराब न पीकर घर में विवाद न करे। इसीलिए शराबबंदी और महिला योजनाओं का प्रभाव गहरा रहा। BJP-JD(U) ने इस क्षेत्र में पहले से बनाई नींव पर दोबारा भरोसा पाया।
2024-25 का सामाजिक माहौल
युवा बेरोज़गारी और महंगाई जैसे मुद्दे महिलाओं को प्रभावित करते हैं, लेकिन सुरक्षा की चिंता सबसे बड़ी बनी रही। RJD ने रोजगार और युवाओं पर अधिक ध्यान दिया, लेकिन महिलाओं ने सुरक्षा, शांति और परिवार के माहौल को प्राथमिकता दी। उनकी प्राथमिकता स्पष्ट थी—'हमारे घर की शांति सबसे ऊपर।'
महिलाओं का वोट: RJD की हार का कारण?
यह कहना गलत होगा कि केवल महिलाओं ने RJD को हराया। लेकिन यह सच है कि महिलाओं के वोट ने RJD की हार को निर्णायक रूप दिया। पुरुष वोटर जाति, पार्टी और गुस्से से प्रभावित होते हैं, जबकि महिला वोटर अपनी सुरक्षा और घर की शांति को प्राथमिकता देती हैं। इस बार पुरुष वोट विभाजित थे, जबकि महिलाओं का वोट एकतरफा चला गया।
महिला मतदाताओं का बढ़ता प्रभाव
पिछले एक दशक में बिहार की महिला मतदाता केवल संख्या में नहीं बढ़ी हैं, बल्कि राजनीतिक रूप से भी मजबूत और निर्णय लेने वाली बन गई हैं। पहले महिलाएं घर के पुरुषों की पसंद देखकर वोट डालती थीं, लेकिन अब वे अपनी प्राथमिकताओं और अनुभवों के आधार पर मतदान करती हैं। यही कारण है कि बिहार में चुनाव विश्लेषण महिला वोट की दिशा देखे बिना अधूरा माना जाता है।
1990 का दौर: एक महत्वपूर्ण समय
बिहार का 1990-2005 का दौर अक्सर 'जंगलराज' के नाम से जाना जाता है। इस समय के कई सामाजिक अनुभवों ने हजारों घरों को प्रभावित किया। उस दौर में अपराध और अपहरण आम थे। महिलाओं के लिए शाम के बाद बाहर निकलना जोखिम भरा था। यह डर इतना गहरा था कि उसकी छाप आज भी कई महिलाओं की भावनाओं में मौजूद है।
महिलाओं का मनोवैज्ञानिक अनुभव
राजनीति में बदलाव भले ही आ गया हो, लेकिन डर की स्मृति अलग चीज है। कई 40-55 साल की महिलाएं आज भी 90 के दशक के उन दिनों को याद करती हैं जब वे स्कूल जाने में डरती थीं। यह डर समय के साथ कम हुआ, लेकिन पूरी तरह गया नहीं। यही स्मृति RJD और 'पुराने दौर' को महिलाओं की नजर में जोड़ देती है।
शराबबंदी का प्रभाव
जब नीतीश कुमार ने शराबबंदी लागू की, तो इसका सबसे बड़ा लाभ महिलाओं ने महसूस किया। घर में झगड़े कम हुए, सड़कों पर रात की घटनाएं घटीं, और परिवारों में शांति बढ़ी। महिलाएं इस फैसले को अपने जीवन से जुड़ा हुआ कदम मानती हैं। यही कारण है कि महिलाएं शराबबंदी को सुरक्षा से जोड़ती हैं और उसी आधार पर मतदान करती हैं।
RJD की छवि पर संदेह
RJD ने रोजगार और नई नीतियों की बात की, लेकिन महिलाओं के बीच उसकी पुरानी छवि अभी भी भारी पड़ती है। RJD के वर्तमान नेता नई पीढ़ी को भरोसा दिलाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन महिलाएं अभी भी उन्हें 'पुराने दौर' से जोड़ती हैं। इस कारण सुरक्षा के नाम पर भरोसा कम और डर ज्यादा महसूस होता है।
महिलाओं की स्थिरता की चाह
महिलाओं के लिए स्थिरता का मतलब केवल राजनीति नहीं, बल्कि रोज़मर्रा की जिंदगी की शांति है। उनके लिए स्थिरता का मतलब है: बाजार सुरक्षित हो, स्कूल-बस सुरक्षित हों, पति शराब पीकर गाली-गलौज न करे, और घर-परिवार बिना तनाव के चले। BJP-JD(U) की सरकार को महिलाओं ने स्थिर माना।
महिलाओं की आवाज़ चुनावी अभियान में
इस चुनाव में महिलाओं की प्रत्यक्ष आवाज़ बहुत कम थी, लेकिन मतदान बूथ पर वे बड़े पैमाने पर दिखाई दीं। वे शांत थीं, लेकिन मतदान के समय एक लाइन में डटी रहीं। यह दिखाता है कि महिलाओं का वोट भावनात्मक कम और अनुभव आधारित ज्यादा होता है।
युवा महिलाओं की सोच
दिलचस्प बात यह है कि युवा महिलाएं सुरक्षा के मामले में अपनी मांओं जैसी ही सोच रखती हैं। मांओं की यादें और बेटियों की वास्तविक चिंताएं मिलकर RJD के प्रति संदेह पैदा करती हैं। युवा महिलाएं स्मार्टफोन और सोशल मीडिया के दौर में हैं, लेकिन सुरक्षा का मुद्दा उनके लिए भी सबसे बड़ा है।
महिलाओं का एकतरफा झुकाव
यह कहना गलत होगा कि पूरी हार का कारण केवल महिलाएं हैं। लेकिन यह कहना बिल्कुल सही होगा कि महिलाओं के एकतरफा झुकाव ने RJD की हार को निर्णायक बना दिया। पुरुष वोटर विभाजित रहे, लेकिन महिलाओं ने एक दिशा में झुककर समीकरण बदल दिया। चुनाव की गाड़ी वहीं पलटती है जहाँ एक बड़ा समूह एकसाथ खड़ा हो जाए-इस बार वह समूह महिलाएँ थीं।
