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बिहार में उद्योगों की कमी: नीतीश कुमार की नई औद्योगिक नीति का सच

बिहार एक बार फिर चुनावी माहौल में है, जहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अगले पांच वर्षों में एक करोड़ नौकरियों का वादा किया है। लेकिन सवाल यह है कि पिछले 20 वर्षों में औद्योगिक विकास में कमी क्यों आई? बिहार की औद्योगिक नीति और रोजगार के अवसरों पर एक गहन विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है। क्या बिहार में उद्योगों की कमी के पीछे कोई ठोस कारण है? जानें इस लेख में।
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बिहार में उद्योगों की कमी: नीतीश कुमार की नई औद्योगिक नीति का सच

बिहार चुनाव की दहलीज पर

Bharat Ek Soch : बिहार एक बार फिर चुनावी माहौल में है। पिछले दो दशकों से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस पद पर हैं। उनकी सरकार ने अगले पांच वर्षों में एक करोड़ नौकरियों और रोजगार के अवसर पैदा करने का वादा किया है। बिहार में औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए एक नई औद्योगिक नीति लाने की योजना बनाई जा रही है। इसके साथ ही, इस महीने एक आइडिया फेस्टिवल का आयोजन भी किया जाएगा, जिसका उद्देश्य स्टार्टअप के लिए 10,000 आइडिया इकट्ठा करना है। इसके बाद विशेषज्ञ टीम इन आइडियाज को बाजार और निवेशकों से जोड़ने का कार्य करेगी। आउट ऑफ बॉक्स स्टार्टअप आइडियाज को सरकार द्वारा 10 लाख रुपये की फंडिंग दी जाएगी। लेकिन सवाल यह उठता है कि यह सब अचानक क्यों हो रहा है? क्या नीतीश कुमार के विकास के प्रति दृष्टिकोण में बदलाव आया है?


बिहार का पुराना गौरव

बिहार की मिट्टी में जन्मा हर व्यक्ति इस बात पर गर्व करता है कि यह धरती महान चक्रवर्ती सम्राट अशोक और बुद्ध की है। यहां आर्यभट्ट और चाणक्य जैसे महान व्यक्तित्वों ने जन्म लिया। बिहार ने विक्रमशिला और नालंदा जैसे विश्वविद्यालयों के माध्यम से शिक्षा का एक नया आयाम स्थापित किया। लेकिन आज बिहार की स्थिति क्या है? देश की प्रति व्यक्ति आय 1,84,205 रुपये है, जबकि बिहार में यह केवल 66,828 रुपये है। यह आंकड़ा दर्शाता है कि बिहार में औद्योगिक विकास की कमी क्यों है।


बिहार में फैक्ट्रियों की कमी

प्रधानमंत्री मोदी ने मोतिहारी में अपने संकल्प का जिक्र किया, लेकिन बिहार के युवाओं के मन में सवाल उठता है कि राज्य फैक्ट्रियों के मामले में इतना पिछड़ा क्यों है? चुनावी माहौल में नीतीश कुमार को रोजगार और नौकरी की याद क्यों आई? हाल ही में नीतीश सरकार ने अगले पांच वर्षों में एक करोड़ रोजगार पैदा करने का लक्ष्य रखा है। बिहार आइडिया फेस्टिवल के माध्यम से 10,000 बेहतरीन स्टार्टअप आइडियाज इकट्ठा करने की योजना है। लेकिन यह सब अब क्यों हो रहा है? क्या नीतीश कुमार ने पहले इस पर ध्यान नहीं दिया?


फैक्ट्रियों की संख्या में गिरावट

2013-14 में बिहार में 3,132 फैक्ट्रियां थीं, जबकि देश में 1,85,690। अगले वर्ष यह संख्या घटकर 2,942 हो गई। 2021-22 में बिहार में चालू फैक्ट्रियों की संख्या घटकर 2,729 रह गई, जबकि देश में यह संख्या 2,57,600 तक पहुंच गई। यह आंकड़े स्पष्ट करते हैं कि बिहार में औद्योगिक विकास की गति कितनी धीमी रही है।


बिहार में रोजगार के अवसर

नीतीश सरकार के उद्योग मंत्री नीतीश मिश्रा का कहना है कि बिहार तेजी से बदल रहा है। लेकिन क्या बिहार में वास्तव में रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं? क्या गयाजी में गुरुग्राम जैसे अवसर मिलेंगे? बिहार में उद्योगों की कमी के कारण युवा रोजगार के लिए दूसरे राज्यों का रुख कर रहे हैं। आंकड़ों के अनुसार, बिहार के 2 करोड़ 90 लाख लोग रोजगार के लिए अन्य राज्यों में रह रहे हैं।


बिहार की औद्योगिक नीति

नीतीश कुमार ने 2020 में कहा था कि अधिकांश उद्योग समुद्र किनारे के राज्यों में लगते हैं। लेकिन पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में भी उद्योग हैं। नीतीश सरकार ने कई औद्योगिक नीतियों की घोषणा की, लेकिन क्या ये नीतियां वास्तव में प्रभावी साबित हुईं? बिहार में उद्योगों की कमी के पीछे कई कारण हैं, जैसे अव्यवस्थित बुनियादी ढांचा और सरकारी उदासीनता।


बिहार के औद्योगिक विकास की चुनौतियां

बिहार में उद्योगों की कमी के पीछे कई कारण हैं, जैसे कि भूमि अधिग्रहण में कठिनाइयां और सरकारी सब्सिडी में अड़चनें। पिछले 20 वर्षों में नीतीश कुमार की सरकार ने कई नीतियां बनाई, लेकिन बिहार में औद्योगिक विकास की तस्वीर नहीं बदली। बिहार के लोग रोजगार के लिए दूसरे राज्यों में पलायन कर रहे हैं, और यह स्थिति चिंता का विषय है।