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भूकंप 2025: क्या हमें चिंता करनी चाहिए?

साल 2025 में भूकंप की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं, विशेषकर दिल्ली-एनसीआर में। हाल के दिनों में कई बार भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं, जिससे लोगों में चिंता बढ़ गई है। वैज्ञानिकों का कहना है कि ये झटके बड़े भूकंप का संकेत हो सकते हैं, लेकिन हर बार ऐसा होना जरूरी नहीं है। जानें भूकंप के कारण, इसके पीछे की वैज्ञानिक व्याख्या और भविष्य में संभावित खतरे के बारे में।
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भूकंप 2025: क्या हमें चिंता करनी चाहिए?

भूकंप की घटनाओं में वृद्धि

भूकंप 2025: साल 2025 के कुछ महीनों में भूकंप की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। हाल ही में दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। 10 जुलाई के बाद से कई बार भूकंप के झटके आए हैं, जिससे लोगों में चिंता बढ़ गई है। क्या ये झटके किसी बड़े खतरे का संकेत हैं? आइए जानते हैं वैज्ञानिकों का क्या कहना है।


पिछले सप्ताह में भूकंप के झटके

19 जुलाई- उत्तराखंड के चमोली में सुबह 3.3 तीव्रता का भूकंप आया। इससे पहले 8 जुलाई को भी भूकंप आया था जिसकी तीव्रता 3.2 थी।


17 जुलाई- रोहतक में 3.3 तीव्रता का भूकंप आया।


11 जुलाई- झज्जर में 3.7 तीव्रता का भूकंप आया, जो 10 किलोमीटर की गहराई पर था।


10 जुलाई- झज्जर में 4.4 तीव्रता का भूकंप आया, जिसके झटके दिल्ली-एनसीआर, फरीदाबाद और गुरुग्राम तक महसूस किए गए।


भूकंप के कारण

आईआईटी कानपुर के पृथ्वी विज्ञान विभाग के प्रोफेसर जावेद मलिक के अनुसार, भारत और दक्षिण पूर्व एशिया में भूकंप के लिए सागाइंग फॉल्ट एक महत्वपूर्ण कारण है। इसके अलावा, बंगाल के सिलीगुड़ी में गंगा-बंगाल फॉल्ट भी है, जिसके कारण लगातार भूकंप के झटके महसूस हो रहे हैं। अध्ययन से पता चला है कि इन क्षेत्रों में भूकंप के झटके पिछले 150-200 वर्षों से आ रहे हैं।


प्रोफेसर मलिक ने बताया कि हिमालय क्षेत्र में भी कई सक्रिय फॉल्ट लाइनें हैं। दिल्ली और उत्तर पूर्व भारत के क्षेत्र भूकंप के लिहाज से जोन-5 में आते हैं। ऐसे में इस क्षेत्र में और अधिक अनुसंधान की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि फॉल्ट लाइनें 150-200 किमी. की गहराई पर हो सकती हैं, जिससे कम गहराई वाले भूकंप अधिक नुकसान पहुंचा सकते हैं।


इसके अलावा, पृथ्वी के अंदर टेक्टोनिक प्लेटें होती हैं जो यूरेशियन प्लेट से टकराती हैं, जिससे ऊर्जा जमा होती है। जब यह ऊर्जा रिलीज होती है, तो भूकंप आते हैं।


भविष्य में खतरा

वर्तमान में उत्तर-पूर्व भारत में इस साल महसूस किए गए झटके जोन-4 में आते हैं, जो आमतौर पर नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। कई वैज्ञानिकों का मानना है कि ये झटके बड़े भूकंप की आहट हो सकते हैं, लेकिन ऐसा हर बार जरूरी नहीं है। इसलिए अभी चिंता की बात नहीं है। हालांकि, सागाइंग फॉल्ट के कारण और भी झटके आ सकते हैं, और इसका सबसे अधिक प्रभाव भारत के पूर्वी हिस्से जैसे म्यांमार, थाईलैंड और जापान पर हो सकता है।


दिल्ली-एनसीआर में लगातार आ रहे भूकंप के झटके लोगों को डरा रहे हैं, क्योंकि यहां की अधिकांश इमारतें असुरक्षित और पुरानी हैं। यदि कोई बड़ा भूकंप आता है, तो नुकसान गंभीर हो सकता है। लोगों को चाहिए कि वे इमारतों का निर्माण करते समय उन्हें भूकंपरोधी बनाएं ताकि किसी भी खतरे से बचा जा सके।


भूकंप के आने के कारण

भूकंप आने का मुख्य कारण प्लेटों का टूटना और टकराना है, जिससे ऊर्जा बाहर निकलती है। धरती के नीचे मौजूद टेक्टोनिक प्लेटें धीमी गति से घूमती हैं। इस प्रक्रिया के दौरान कुछ प्लेटें एक-दूसरे के ऊपर आ जाती हैं, जबकि कुछ अपने स्थान से खिसक जाती हैं, जिससे भूकंप आता है। जहां चट्टानें आपस में टकराती हैं, वही भूकंप का केंद्र होता है। इस केंद्र से भूकंप की ऊर्जा फैलती है, और जब यह सतह पर पहुंचती है, तो कंपन महसूस होता है।