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भूकंप के झटकों से कांपी धरती: भारत, ताजिकिस्तान और ईरान में महसूस हुए भूकंप

आज सुबह भारत, ताजिकिस्तान और ईरान में भूकंप के झटके महसूस किए गए, जिससे लोगों में दहशत फैल गई। असम के नागांव में भूकंप की तीव्रता 2.9 थी, जबकि ताजिकिस्तान और ईरान में क्रमशः 4 और 5.6 मापी गई। हालांकि, किसी भी देश में जान-माल का नुकसान नहीं हुआ है। ताजिकिस्तान की पहाड़ी भौगोलिक स्थिति के कारण भूकंप के बाद लैंड स्लाइड और हिमस्खलन का खतरा बना रहता है।
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भूकंप के झटकों से कांपी धरती: भारत, ताजिकिस्तान और ईरान में महसूस हुए भूकंप

भूकंप के झटके

भूकंप के झटके: आज सुबह एक बार फिर धरती ने भूकंप के झटकों से कांप उठी। भारत, ताजिकिस्तान और ईरान में भूकंप के झटके महसूस किए गए। देर रात 12 बजे से लेकर सुबह 5 बजे तक तीनों देशों में भूकंप ने दहशत फैलाई। हालांकि, किसी भी देश में जान-माल के नुकसान की कोई सूचना नहीं है, लेकिन लोगों में भय का माहौल बना हुआ है।


भारत में भूकंप का पहला झटका

भूकंप का पहला झटका भारत के असम राज्य के नागांव जिले में आया। यह झटका रात करीब 12:56 बजे महसूस किया गया, जिसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 2.9 मापी गई। इस भूकंप का केंद्र धरती की सतह से 40 किलोमीटर की गहराई में था। उल्लेखनीय है कि 8 जुलाई को भी कार्बी आंगलोंग जिले में भूकंप के झटके आए थे, जिनकी तीव्रता 4.1 थी।


ताजिकिस्तान और ईरान में भूकंप

ताजिकिस्तान और ईरान में भूकंप के झटके

भारत के बाद ताजिकिस्तान में भूकंप के झटके महसूस किए गए, जिनकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 4 मापी गई। यह भूकंप रात करीब एक बजे आया और इसका केंद्र 160 किलोमीटर की गहराई में था। इसके बाद, अलसुबह ईरान में भूकंप आया, जिसकी तीव्रता 5.6 मापी गई, और इसका केंद्र तेहरान के निकट था।


जुलाई में भूकंप की बार-बार घटनाएं

जुलाई में भूकंप की घटनाएं

ताजिकिस्तान में जुलाई महीने में आज चौथी बार भूकंप आया है। इससे पहले 18 जुलाई को भी भूकंप आया था, जिसकी तीव्रता 3.8 थी। इस भूकंप का केंद्र 10 किलोमीटर की गहराई में था। 12 जुलाई को भी दो बार भूकंप आया था, जिनकी तीव्रता क्रमशः 4.8 और 4.2 थी।


भूकंप के कारण संभावित नुकसान

भूकंप के कारण संभावित नुकसान

ताजिकिस्तान एक पहाड़ी देश है, जो भूकंप, बाढ़, सूखा, लैंड स्लाइड और हिमस्खलन के लिए संवेदनशील है। यहां के ग्लेशियरों से निकलने वाली नदियां सिंचाई का मुख्य साधन हैं। भूकंप आने पर इन ग्लेशियरों में हलचल होती है, जिससे हिमस्खलन और नदियों में बाढ़ आ सकती है। पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण लैंड स्लाइड का खतरा भी बना रहता है।