महंगाई की चपेट में अमेरिका: व्हाइट हाउस ने टैरिफ हटाने की योजना बनाई
महंगाई का असर व्हाइट हाउस तक पहुंचा
वाशिंगटन: अमेरिका में महंगाई की समस्या इतनी गंभीर हो गई है कि इसका प्रभाव सीधे व्हाइट हाउस पर भी पड़ रहा है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 'अमेरिका फर्स्ट' के तहत लगाए गए भारी टैरिफ अब खुद उनके लिए समस्या बनते दिख रहे हैं।
विदेशी उत्पादों को महंगा करके अमेरिकी उद्योगों को बढ़ावा देने के प्रयास में ट्रंप प्रशासन ने घरेलू बाजार में ऐसी स्थिति पैदा कर दी है कि आवश्यक वस्तुएं आम जनता की पहुंच से बाहर हो गई हैं। इसके परिणामस्वरूप, व्हाइट हाउस अब इन टैरिफ को हटाने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है।
टैरिफ नीति का उलटा प्रभाव
ट्रंप ने अपने कार्यकाल की शुरुआत में उन देशों पर भारी टैरिफ लगाए थे, जिनसे अमेरिका बड़े पैमाने पर आयात करता रहा है। भारत, अर्जेंटीना, इक्वाडोर, ग्वाटेमाला और एल सल्वाडोर जैसे देशों से आने वाले खाद्य पदार्थ अचानक महंगे हो गए हैं।
ट्रंप का उद्देश्य विदेशी कंपनियों को नुकसान पहुंचाना और अमेरिकी राजस्व को बढ़ाना था, लेकिन यह नीति उलटी पड़ गई। टैरिफ के कारण बढ़ी कीमतों का सीधा असर अमेरिकी परिवारों पर पड़ने लगा है। कॉफी, केले, बीफ और अन्य आवश्यक वस्तुओं की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई हैं, जिससे आम लोगों का बजट प्रभावित हुआ है।
व्हाइट हाउस का यू-टर्न
एक रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप प्रशासन अब इन टैरिफ को वापस लेने की गंभीर योजना बना रहा है। अमेरिका कुछ हफ्तों में अर्जेंटीना, इक्वाडोर, ग्वाटेमाला और एल सल्वाडोर से आने वाले खाद्य पदार्थों पर लगाए गए अतिरिक्त टैरिफ को हटाने का निर्णय ले सकता है।
एक फ्रेमवर्क एग्रीमेंट के तहत कॉफी, केला, बीफ और अन्य आयातित खाद्य पदार्थों को सस्ता करने की योजना बनाई जा रही है। यह कदम अमेरिकी कंपनियों के लिए उन देशों के बाजारों में प्रवेश को भी आसान बनाएगा।
टैरिफ डिविडेंड का वादा
इस बीच, ट्रंप ने हाल ही में हर अमेरिकी को कम से कम 2000 डॉलर का 'टैरिफ डिविडेंड' देने का वादा किया है। विशेषज्ञ इसे बढ़ती महंगाई और नीति के उलटे प्रभाव से उत्पन्न असंतोष को कम करने का प्रयास मानते हैं।
