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मालदेवता क्षेत्र में भूस्खलन: प्राकृतिक आपदाओं के प्रति हमारी तैयारी की कमी

मालदेवता क्षेत्र में हालिया भूस्खलन और मूसलधार बारिश ने प्राकृतिक आपदाओं के प्रति हमारी तैयारियों की कमी को उजागर किया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन, अस्थिर भू-भाग और अवैज्ञानिक विकास इस क्षेत्र को आपदा क्षेत्र में बदलने के मुख्य कारण हैं। यदि उचित कदम नहीं उठाए गए, तो भविष्य में प्राकृतिक आपदाएं और भी घातक हो सकती हैं। जानें इस संकट के पीछे के कारण और संभावित समाधान।
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भूस्खलन और बारिश का संकट

हाल ही में मालदेवता क्षेत्र में हुई मूसलधार बारिश और भूस्खलन ने प्राकृतिक आपदाओं के प्रति हमारी कमजोर तैयारियों को उजागर किया है। यह क्षेत्र भूगर्भीय दृष्टि से अत्यधिक संवेदनशील है, जहां की कमजोर चट्टानें और तीव्र ढलानें हर साल गंभीर तबाही का कारण बनती हैं। वाडिया इंस्टीट्यूट, सीएसआईआर-एनजीआरआई और सिक्किम विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा 2022 में किए गए अध्ययन ने इस क्षेत्र के भविष्य को लेकर चिंता बढ़ा दी थी। उनके अनुसार, मालदेवता क्षेत्र एक सक्रिय फॉल्ट लाइन पर स्थित है, जिससे भूस्खलन का खतरा हमेशा बना रहता है।


विज्ञानियों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन, अस्थिर भू-भाग और अवैज्ञानिक विकास इस क्षेत्र को आपदा क्षेत्र में बदलने के प्रमुख कारण हैं। जब भी भारी बारिश या बादल फटने जैसी स्थिति उत्पन्न होती है, तब यह क्षेत्र भूस्खलन, बाढ़ और मलबा बहने की समस्याओं का सामना करता है। 2022 में आई तबाही के दौरान, बाल्दी नदी के रास्ते में पहले से ही भूस्खलन के कारण मलबा जमा हो चुका था। वर्ष 2020 और 2021 में नदी में भारी मलबा गिरने से उसकी दिशा बदल गई।


अवैज्ञानिक निर्माण और बेतहाशा विकास ने स्थिति को और भी खराब कर दिया है। शोध में यह स्पष्ट हुआ है कि नदी के किनारे अवैध और अनियोजित निर्माण हो रहे हैं, जिससे नदी का प्राकृतिक बहाव बाधित हो रहा है। यह स्थिति बाढ़ के समय अत्यंत खतरनाक साबित होती है, क्योंकि पानी का बहाव रुकने से जलभराव बढ़ जाता है।


विज्ञानियों का मानना है कि प्राकृतिक आपदाओं को पूरी तरह से रोका नहीं जा सकता, लेकिन यदि सही विकास योजनाएं बनाई जाएं और पर्यावरणीय पहलुओं का ध्यान रखा जाए, तो नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकता है।


सभी संबंधित विभागों और स्थानीय प्रशासन को नदी किनारे किसी भी निर्माण पर रोक लगानी चाहिए, विशेषकर निचली फ्लड टेरेस पर। इसके अलावा, प्रत्येक संवेदनशील क्षेत्र में स्वचालित मौसम स्टेशन (एडब्ल्यूएस) स्थापित करना आवश्यक है, ताकि समय पर चेतावनियां दी जा सकें। विकास योजनाओं से पहले पर्यावरणीय प्रभाव का आकलन अनिवार्य किया जाना चाहिए और लोगों को नदी किनारे निर्माण न करने के लिए जागरूक किया जाना चाहिए।


मालदेवता में हो रही आपदाएं एक बड़े चेतावनी संकेत हैं। यदि यहां विकास कार्यों में सतर्कता और सावधानी नहीं बरती गई, तो भविष्य में प्राकृतिक आपदाएं और भी घातक हो सकती हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार, समय रहते उठाए गए कदम हमें इन खतरों से बचा सकते हैं।