लाह की खेती: संसाधनों की कमी के बावजूद करोड़ों की कमाई

लाह की खेती: एक सफल उद्यमिता की कहानी
रांची के किसान शक्ति ने लाह की खेती के माध्यम से यह सिद्ध कर दिया है कि सीमित संसाधनों के बावजूद भी सफलता प्राप्त की जा सकती है।
उनके पास न तो जमीन थी और न ही पूंजी, फिर भी आज उनका वार्षिक कारोबार 3 से 4 करोड़ रुपये तक पहुँच गया है। किसान शक्ति की यह यात्रा मेहनत, नवाचार और प्रबंधन का एक बेहतरीन उदाहरण है।
लाह की खेती की प्रक्रिया और विशेषताएँ
लाह, जिसे अंग्रेजी में Lac Resin कहा जाता है, एक प्राकृतिक रेजिन है जो कुसुम और बेर जैसे पेड़ों पर पाए जाने वाले कीड़ों द्वारा उत्पन्न होती है।
शक्ति बताते हैं कि यह फसल किसी खेत में नहीं उगती, बल्कि बड़े पेड़ों पर विकसित होती है। लाह की खेती के लिए विशेष पेड़ों की आवश्यकता होती है, जो उनके पास नहीं थे।
हालांकि, उन्होंने हार नहीं मानी और विभिन्न जिलों में जाकर इन पेड़ों के मालिकों के साथ साझेदारी की, जिससे लाह की खेती शुरू की जा सकी।
लाह की मांग और बाजार
लाह की मांग सजावट, पेंट, कॉस्मेटिक्स और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग में हमेशा बनी रहती है, जिससे इसका बाजार हमेशा सक्रिय रहता है।
व्यापार का विस्तार और प्रशिक्षण
शक्ति पिछले 20 वर्षों से लाह की खेती कर रहे हैं और अब उनका व्यापार 10 से अधिक भारतीय राज्यों और नेपाल तक फैल चुका है।
उनका नेटवर्क 70 से अधिक जिलों में फैला हुआ है। वे न केवल खुद खेती करते हैं, बल्कि अन्य किसानों को भी प्रशिक्षण देते हैं।
शक्ति ने खेती से संबंधित तकनीकों, मार्केटिंग और वितरण चैनलों पर ध्यान केंद्रित करके एक मजबूत आपूर्ति श्रृंखला विकसित की है।
उनका मॉडल यह दर्शाता है कि सीमित संसाधनों को बेहतर रणनीति और जमीनी समझ से कैसे राष्ट्रीय स्तर के कारोबार में परिवर्तित किया जा सकता है।