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सऊदी अरब के स्लीपिंग प्रिंस का निधन: 20 सालों तक कोमा में रहने की कहानी

सऊदी अरब के स्लीपिंग प्रिंस अल वलीद बिन खालिद का निधन हो गया है। वह पिछले 20 वर्षों से कोमा में थे, जो एक गंभीर सड़क दुर्घटना के कारण हुआ था। जानें उनके जीवन की इस दुखद कहानी और कोमा में रहने के कारणों के बारे में। यह कहानी न केवल उनके जीवन के संघर्ष को दर्शाती है, बल्कि चिकित्सा विज्ञान की सीमाओं को भी उजागर करती है।
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सऊदी अरब के स्लीपिंग प्रिंस का निधन: 20 सालों तक कोमा में रहने की कहानी

स्लीपिंग प्रिंस का अंतिम संस्कार

स्लीपिंग प्रिंस की कहानी: सऊदी अरब के 'स्लीपिंग प्रिंस' के नाम से जाने जाने वाले राजकुमार अल वलीद बिन खालिद ने 19 जुलाई को अपनी अंतिम सांस ली। उनका अंतिम संस्कार आज रियाद में इमाम तुर्की बिन अब्दुल्ला मस्जिद में प्रार्थना के बाद किया जाएगा। इस बारे में उनके पिता, प्रिंस खालिद बिन तलाल अल सऊद ने सोशल मीडिया पर जानकारी साझा की है।


कोमा में जाने का कारण

प्रिंस अल वलीद का 2005 में एक गंभीर सड़क दुर्घटना का सामना करना पड़ा था, जब वह केवल 15 वर्ष के थे। इस दुर्घटना के बाद उन्हें अमेरिका में प्राथमिक उपचार दिया गया और फिर सऊदी अरब लाया गया। इस हादसे में उनके सिर पर गंभीर चोट आई थी, जिसके कारण वह पिछले 20 वर्षों से कोमा में थे। उन्हें सीवियर ब्रेन हेमोरेज हुआ था, जिससे आंतरिक रक्तस्राव हुआ था।


कोमा में रहने की प्रक्रिया

कैसे कोई 20 सालों तक कोमा में रहता है?


प्रिंस को ब्रेन हेमोरेज के कारण कोमा में जाना पड़ा। भुवनेश्वर के एक वरिष्ठ न्यूरोसर्जन के अनुसार, ब्रेन हेमोरेज के कई प्रकार होते हैं, और सड़क दुर्घटनाओं में तीन प्रकार के हेमोरेज हो सकते हैं। कोमा की स्थिति में, मस्तिष्क सामान्य रूप से कार्य नहीं करता है, और यह स्थिति कई दिनों से लेकर वर्षों तक रह सकती है। 20 साल का कोमा में रहना अत्यंत दुर्लभ है।


कोमा के कारण

क्या है कारण?


कोमा में रहने के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन सड़क दुर्घटनाओं में गंभीर मस्तिष्क की चोट और आंतरिक रक्तस्राव मुख्य कारण होते हैं। दुर्घटना के बाद मस्तिष्क तक ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित हो जाती है, जिससे कोमा की स्थिति उत्पन्न होती है। कभी-कभी, रक्तस्राव के बाद मस्तिष्क में संक्रमण भी हो सकता है।


क्या रिकवरी संभव है?

क्या रिकवरी मुमकिन है?


डॉक्टरों के अनुसार, सड़क दुर्घटना के बाद एक 'गोल्डन टाइम' होता है, जिसमें मरीज की जान बचाने की संभावना होती है। लेकिन यदि कोमा की अवधि अधिक हो जाती है, तो स्थिति गंभीर हो जाती है और जान बचाना मुश्किल हो जाता है। लंबे समय तक कोमा में रहने से मृत्यु की संभावना बढ़ जाती है।