सीतापुर में दृष्टिबाधित बच्चों के लिए शिक्षा की कमी: अभिभावकों की चिंता
सीतापुर में दृष्टिबाधित बच्चों की शिक्षा की स्थिति
सीतापुर जिले में दृष्टिबाधित बच्चों के लिए शिक्षा और पुनर्वास की सुविधाएं अत्यंत सीमित हैं। इस स्थिति ने न केवल बच्चों के भविष्य को खतरे में डाल दिया है, बल्कि उनके अभिभावकों को भी सरकारी सिस्टम की उपेक्षा से निराश किया है। जबकि सरकार दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण का दावा करती है, वास्तविकता इससे काफी भिन्न है।जिले में 307 से अधिक दृष्टिबाधित बच्चों की पहचान की गई है, लेकिन उनके लिए कोई विशेष विद्यालय या समावेशी शिक्षा की व्यवस्था नहीं है। सामान्य स्कूलों में ब्रेल की किताबें, प्रशिक्षित शिक्षक और सहायक उपकरणों की कमी है, जिससे ये बच्चे शिक्षा से वंचित रह जाते हैं। अभिभावक बताते हैं कि वे अपने बच्चों को पढ़ाना चाहते हैं, लेकिन जिले में कोई सरकारी व्यवस्था नहीं है जो उन्हें आशा दे सके।
कोविड-19 महामारी से पहले, जिले में दृष्टिबाधित बच्चों के लिए 'त्वरित शिक्षण शिविर' चलाए जाते थे, जो ब्रेल शिक्षा और तकनीकी प्रशिक्षण प्रदान करते थे। लेकिन 2020 में महामारी के कारण ये शिविर बंद हो गए और अब तक पुनः शुरू नहीं हुए हैं। इससे लगभग 60 बच्चों की शिक्षा प्रभावित हुई है।
बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी प्रमोद गुप्ता ने बताया कि अब इन बच्चों को सामान्य स्कूलों में पढ़ाया जा रहा है, लेकिन अधिकांश अभिभावक इस व्यवस्था से संतुष्ट नहीं हैं।
जिले में दृष्टिबाधित बच्चों के लिए न कोई सरकारी स्कूल है, न व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र। दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग की ओर से भी कोई ठोस पहल नहीं की गई है। अभिभावकों का कहना है कि सरकार को चाहिए कि वह दृष्टिबाधित बच्चों के लिए आवासीय विद्यालय स्थापित करे और विशेष शिक्षकों की नियुक्ति करे।
सीतापुर का प्रसिद्ध आंख अस्पताल एक सकारात्मक उदाहरण है, जो आंशिक रूप से दृष्टिबाधित बच्चों की आंखों की जांच और तकनीकी सहायता प्रदान कर रहा है। यहां ब्रेल डिस्प्ले, स्पीकिंग बुक्स और अन्य उपकरणों की मदद से बच्चों की शिक्षा को आसान बनाया जा रहा है।
हालांकि, अस्पताल के प्रयास सराहनीय हैं, लेकिन अकेले इसके भरोसे पूरे जिले के बच्चों का भविष्य नहीं संवारा जा सकता। रिंकी, सुल्तान और रेशमा जैसे अभिभावक अपनी चिंताओं को साझा करते हैं और स्थायी व्यवस्था की मांग करते हैं ताकि उनके बच्चे भी शिक्षा प्राप्त कर सकें।