हरियाणा के किसानों के लिए फसल बीमा योजना की नई समय सीमा
फसल बीमा योजना की महत्वपूर्ण जानकारी
हरियाणा के किसानों के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से संबंधित एक महत्वपूर्ण अपडेट आया है। रबी सीजन में खेती करने वाले किसान अब 31 दिसंबर तक अपनी फसलों का बीमा करा सकते हैं। इस प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिए सरकारी पोर्टल को सक्रिय कर दिया गया है, जिससे किसान समय पर आवेदन कर सकें और मौसम या प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान से बच सकें।
बीमा करवाने की आवश्यकता
कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि समय पर बीमा कराना छोटे और मध्यम किसानों के लिए अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि अचानक बारिश, ओलावृष्टि या कीटों के हमले जैसी घटनाएं अक्सर भारी नुकसान का कारण बनती हैं।
बीमा प्रक्रिया की समय सीमा
जिला कृषि अधिकारियों ने बताया कि पंजीकरण को सरल बनाने के लिए एक समयबद्ध प्रक्रिया लागू की गई है।
- 24 दिसंबर तक बैंक जाकर बीमा घोषणा की पुष्टि करनी होगी।
- 29 दिसंबर तक ऋणी किसान अपने बैंक में जाकर फसल परिवर्तन से संबंधित कार्य पूरा कर सकते हैं।
- 31 दिसंबर अंतिम तिथि है सभी दस्तावेज जमा कर बीमा प्रक्रिया को पूरा करने की।
अधिकारियों के अनुसार, यदि किसान बैंक में घोषणा नहीं करते हैं, तो बैंक उनके खाते से निर्धारित फसल का बीमा अपने आप कर देगा।
आवेदन कैसे करें
जिला उप कृषि निदेशक विनोद फोगाट ने बताया कि
- ऋण लेने वाले किसान अपने संबंधित बैंक में जाकर फसलों का विवरण सही तरीके से दर्ज कराएं।
- बिना ऋण वाले किसान सीएससी केंद्रों या बैंक की सहायता से आवश्यक दस्तावेजों के साथ आवेदन कर सकते हैं।
भिवानी जिले के लिए रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी को बीमा संचालन की जिम्मेदारी दी गई है। अन्य जिलों में संबंधित कंपनियां कार्य संभाल रही हैं।
किस फसल का बीमा और लागत
इस योजना के तहत रबी सीजन की पांच प्रमुख फसलों का बीमा किया जा सकता है:
- गेहूं
- सरसों
- जौ
- चना
- सूरजमुखी
प्रीमियम (प्रति हेक्टेयर)
- गेहूं के लिए 1205.52 रुपये
- सरसों के लिए 809.13 रुपये
- जौ के लिए 768.27 रुपये
- चना के लिए 592.55 रुपये
- सूरजमुखी के लिए 817.31 रुपये
बीमित राशि (प्रति हेक्टेयर)
- गेहूं पर 80368 रुपये
- सरसों पर 83942 रुपये
- जौ पर 51218 रुपये
- चना पर 39503 रुपये
- सूरजमुखी पर 54487 रुपये
कृषि अर्थशास्त्रियों का कहना है कि किसानों को चुकाए गए प्रीमियम की तुलना में मिलने वाली बीमित राशि अधिक है, इसलिए यह योजना जोखिम प्रबंधन के लिए एक बेहतर विकल्प है।
फसल बीमा का महत्व
हर साल मौसम के उतार-चढ़ाव और बदलते पैटर्न से खेती का जोखिम बढ़ता जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि फसल बीमा किसानों की आर्थिक स्थिरता के लिए सुरक्षा कवच बन गया है।
- प्राकृतिक आपदा
- सूखा
- ओलावृष्टि
- कीट या रोग नुकसान
ऐसी परिस्थितियों में बीमा किसानों को राहत प्रदान करता है और उन्हें अगली फसल की तैयारी में मदद करता है।
पिछले साल की तुलना में बदलाव
पिछले कुछ वर्षों में हरियाणा में बीमा जागरूकता में वृद्धि हुई है। जिला अधिकारियों के अनुसार, अब किसान फसल परिवर्तन की जानकारी भी दे रहे हैं, जिससे दावे की प्रक्रिया पारदर्शी और तेज हो गई है।
किसानों के लिए सुझाव
कृषि विभाग का सुझाव है कि किसान:
- बैंक और सीएससी में जल्द से जल्द दस्तावेज जमा करें
- फसल विवरण में किसी भी गलती से बचें
- बीमा पॉलिसी की प्रति सुरक्षित रखें
- नुकसान की स्थिति में समय पर दावा सूचित करें
