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उत्तरकाशी पंचायत चुनाव में कर्मचारियों की मतदान से वंचना पर उठे सवाल

उत्तरकाशी ज़िले में पंचायत चुनावों की तैयारियों के बीच, 3395 कर्मचारी मतदान की ड्यूटी निभाएंगे लेकिन अपने मताधिकार का उपयोग नहीं कर सकेंगे। इस स्थिति ने लोकतांत्रिक अधिकारों पर सवाल उठाए हैं। निर्वाचन आयोग की ओर से कोई विशेष दिशा-निर्देश न होने के कारण, कर्मचारियों की अनुपस्थिति से मतदान प्रतिशत पर भी असर पड़ सकता है। जानें इस मुद्दे पर क्या कहा गया है और प्रशासन की तैयारियों के बारे में।
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उत्तरकाशी में पंचायत चुनाव की तैयारियां

उत्तराखंड के उत्तरकाशी ज़िले में पंचायत चुनावों का माहौल गर्म है, लेकिन इस बार एक अनसुनी नाराजगी भी सामने आ रही है, जो लोकतंत्र की नींव से जुड़ी है। मतदान की तैयारियों के बीच, 3395 कर्मचारी ऐसे हैं जो चुनाव में अपनी ड्यूटी निभाएंगे, लेकिन वे अपने मताधिकार का उपयोग नहीं कर सकेंगे। यह सवाल उठता है कि क्या जिन लोगों पर मतदान को निष्पक्ष और शांतिपूर्ण बनाने की जिम्मेदारी है, उन्हें खुद वोट देने से वंचित करना उचित है?


निर्वाचन आयोग की ओर से इन कर्मचारियों के लिए कोई विशेष दिशा-निर्देश नहीं दिए गए हैं, जिससे उनकी लोकतांत्रिक अधिकारों में बाधा आ रही है। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में तैनात ये कर्मचारी मतदान के दिन अपने बूथ से दूर रहेंगे, जिससे उनका वोट डालना केवल एक अधूरी उम्मीद बनकर रह जाएगा।


सीडीओ एसएल सेमवाल ने बताया कि आयोग ने पंचायत चुनाव में मतदानकर्मियों के लिए किसी विशेष वोटिंग प्रक्रिया, जैसे कि पोस्टल बैलेट, की अनुमति नहीं दी है। इस कारण से, ड्यूटी पर तैनात कर्मचारी अपने गृह मतदान क्षेत्र में वोट नहीं डाल सकेंगे।


इस मुद्दे ने शिक्षक संगठनों और कर्मचारियों में रोष पैदा कर दिया है। राजकीय शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष अतोल महर ने सवाल उठाया कि विधानसभा और लोकसभा चुनावों में मतदान कर्मियों के लिए डाक मतपत्र की सुविधा होती है, लेकिन पंचायत चुनाव में यह सुविधा क्यों नहीं दी जा रही? उनका कहना है कि अधिकांश कर्मचारी ग्रामीण क्षेत्रों से हैं और उनके नाम स्थानीय मतदान केंद्रों में दर्ज हैं, इसलिए उनकी अनुपस्थिति से न केवल उनका लोकतांत्रिक अधिकार छिन रहा है, बल्कि मतदान प्रतिशत पर भी असर पड़ रहा है।


प्रशासन ने पंचायत चुनावों के लिए जोनल और सेक्टर स्तर पर सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं। 20 जोनल मजिस्ट्रेट, 76 सेक्टर मजिस्ट्रेट और 50 प्रभारी अधिकारियों की नियुक्ति की गई है ताकि मतदान प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी न हो। लेकिन इस सुव्यवस्थित तंत्र के बीच ड्यूटी पर तैनात कर्मियों के मताधिकार की अनदेखी प्रशासनिक लापरवाही के रूप में सामने आ रही है।