कैथल के युवाओं की अमेरिका से वापसी: डिपोर्टेशन की दर्दनाक कहानी
कैथल के 33 युवा लौटे अमेरिका से
कैथल (डंकी रूट)। जिले के 33 युवा अमेरिका से डिपोर्ट होकर वापस लौट आए हैं। हर किसी ने वहां जाने के लिए 50 से 60 लाख रुपये खर्च किए, जिससे लगभग 17 करोड़ रुपये एजेंटों की जेब में चले गए। कुछ ने अपनी पुश्तैनी जमीन बेची, तो कुछ ने मकान गिरवी रखे, लेकिन परिणाम शून्य रहा। अमेरिका से लौटने के बाद ये युवा अब एजेंटों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने से भी हिचकिचा रहे हैं।
परिवारों की चिंता
इसकी एक मुख्य वजह यह है कि अधिकांश एजेंट रिश्तेदार या पारिवारिक जानकार हैं। कुछ परिवारों का कहना है कि एजेंट ने उन्हें अमेरिका पहुंचा दिया, इसलिए डिपोर्ट होने में उनकी कोई गलती नहीं है।
पुलिस का कहना है कि यही सोच इन एजेंटों को कानूनी कार्रवाई से बचा रही है, जबकि उन्होंने कई युवाओं की जिंदगी को खतरे में डाल दिया है।
हरियाणा और पंजाब के कई परिवार अपनी संपत्ति, दुकानें और गहने बेचकर विदेश जाने की कोशिश कर रहे हैं। अब डिपोर्ट हुए युवाओं के परिवार इस डर में हैं कि कहीं उनके बच्चे भी इसी रास्ते पर न चल पड़ें।
डंकी रूट से गए 50 हजार भारतीय
जानकारी के अनुसार, लगभग 50 हजार भारतीय डंकी रूट से अमेरिका पहुंचे हैं। इनमें से कैथल जिले के 33 लोग डिपोर्ट हो चुके हैं। अमेरिका में अधिकांश भारतीय ड्राइविंग, माली, शोरूम हेल्पर, लकड़ी और बिजली के काम में लगे हुए हैं। हाल के दिनों में वहां ड्राइवरों के लिए सख्ती बढ़ गई है, जिससे रोजगार पाना और भी मुश्किल हो गया है।
एसपी की सलाह
एसपी उपासना यादव ने कहा कि विदेश भेजने के नाम पर किसी भी एजेंट या व्यक्ति को पैसे देने से पहले उसकी वैधता की जांच अवश्य करें। यदि कोई संदिग्ध मामला सामने आए तो तुरंत पुलिस को सूचित करें। किसी के बहकावे में न आएं, क्योंकि ऐसे रास्ते न केवल अवैध हैं बल्कि जानलेवा भी साबित हो सकते हैं।
डिपोर्ट होकर लौटे युवाओं की कहानी
नाम न छापने की शर्त पर कुछ युवाओं ने बताया कि वे मार्च में अमेरिका की सीमा पार करने की कोशिश में एक समूह के साथ गए थे। उन्हें पांच महीने जंगलों में छिपकर रहना पड़ा। डंकी रूट के लिए लाखों रुपये दिए गए और कई दिनों तक भूखे-प्यासे पैदल चलना पड़ा।
“हमें मांसाहारी भोजन दिया गया, लेकिन हमने नहीं खाया। कई दिन केवल कच्ची सब्जियां और पानी पीकर गुजारे। दस दिन बाद मुश्किल से एक आध रोटी मिलनी शुरू हुई,” उन्होंने कहा। उन्होंने अपील की कि “लोग डंकी रूट से जाने का विचार छोड़ दें, यह जान हथेली पर रखकर जाने वाला सफर है।”
अमेरिका में सख्त नियम
अमेरिका में रह रहे कैथल के राम सिंह, सुखदेव और करनाल के विनोद शर्मा ने बताया कि अब इमिग्रेशन के नियम पहले से कहीं ज्यादा कड़े हो गए हैं। पहले डंकी रूट से आने वालों को अस्थायी जेल में रखा जाता था, लेकिन अब अदालत में सीधे मामला दर्ज कर डिपोर्ट करने की प्रक्रिया तेज कर दी गई है।
